इंजी. पीपी गुप्ता के निधन पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ने श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर दी उन्हे श्रद्धांजलि.. 

इंजी. पीपी गुप्ता के निधन पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ने श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर दी उन्हे श्रद्धांजलि.. 
RO.NO. 12879/25

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 दुर्ग (छत्तीसगढ़)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के आनंद सरोवर बघेरा में अविभाजित मध्य प्रदेश के सिंचाई विभाग से चीफ इंजीनियर प्रेम प्रकाश गुप्ता जी आकस्मिक निधन के उपरांत श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया । अपने प्रियजनों के बीच पीपी. गुप्ता के नाम से लोकप्रिय थे । 12 जून 1949 को मुंगेली में जन्मे, गुप्ता जी धनेली गुप्ता परिवार के प्रथम इंजीनियर थे। छात्र जीवन से ही मेधावी छात्र थे। अविभाजित मध्य प्रदेश के सिंचाई विभाग से चीफ इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सिंचाईं विभाग में कार्यरत रहते हुए पिपरिया, बिलासपुर, रायपुर, राजनांदगाँव ज़िलों के अनेक बाँधो एवम् नहरों के निर्माण , रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वभाव से अत्यंत मिलनसार, हंसमुख़, दयालु थे। वे डॉ. रेखा गुप्ता पूर्व सिविल सर्जन जिला अस्पताल दुर्ग के युगल ( जीवन-साथी) थे ।                         इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी रीटा बहन ने उनके समाजसेवी व ईश्वरीय कार्य में निःस्वार्थ सहभागिता का वर्णन करते हुए बताया इस संसार में अनेक मनुष्य जन्म लेते हैं किंतु कुछ मनुष्य आत्माएं कम समय में ही अपने श्रेष्ठ कर्मों के द्वारा जगत में अपने नाम की अमिट छाप छोड़ जाते हैं वह अपने कर्मों के द्वारा दूसरों के लिए अनुकरणीय बन जाते हैं । प्रेम प्रकाश गुप्ता जी लगभग 16 वर्षों से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के नियमित विद्यार्थी थे। वे संस्था के कार्यों में तन-मन-धन से सदा सहयोगी थे तथा अनेकों को अपने उदार हृदय से सहयोग दिया । 

वरिष्ठ राजयोगी शिक्षिका रुपाली बहन ने उपस्थित सभाजनों को संबोधित करते हुए कहा कि जब किसी के यहां प्रियजन का आकस्मिक निधन हो जाता है तो वातावरण दुःखमय होता है । इसका मूल कारण परमात्मा ने हमें बताया कि हम बहुत समय किसी के अंग-संग होते हैं तो स्वाभाविक रूप से एक लगाव निर्मित हो जाता है, किंतु इस सृष्टि पर जो आत्माएं भिन्न-भिन्न नाम-रूप से अपना पार्ट बजाने आई है उन्हें एक दिन इस देह को त्याग करना ही है। यह जीवन की अनवरत यात्रा है । जो आत्मा शरीर छोड़ती है 13 दिनों के पश्चात पुनः नए गर्भ में प्रवेश करती है तो एक ओर जहां उस आत्मा का जन्म होने वाला होता है और उस आत्मा के आगमन की खुशी रहती है तो दूसरी ओर जहां वह आत्मा शरीर छोड़ चुकी होती है वहाँ दुःख का वातावरण रहता है और जब वह आत्मा नया शरीर धारण करती है तो कुछ समय तक बोलना नहीं सिखती तब तक उस आत्मा को पूर्व जन्म की सुख-दुःख की बातें याद आती रहती है तो शिशु अवस्था में कभी रोता है कभी हंसता है जब आत्मा पुराना शरीर छोड़कर नई यात्रा में जाने के लिए तैयार होती है तो हमें उस आत्मा के लिए खुशी, प्रेम,आनंद ,स्नेह के संकल्प करना चाहिए जिससे वह आत्मा जहां भी जन्म ली है वहाँ  सदा खुश रहे स्वस्थ रहे प्रसन्न रहे ।