आज भी चल रहा पाखंडी बाबाओं का जादू ... !
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दुर्ग। इंटरनेट के इस युग में आज भी बहुत से लोग जादू टोना, तंत्र मंत्र के झमेले में अपना बहुत कुछ गंवाते है। ढोंगी बाबाओं के बोलबाला भले थोड़ा कम हुआ हो पर स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है।
आप अखबार या दीवारों में चस्पा ऐसे विज्ञापन देखते होंगे। जिसमे "अपनी प्रेमिका को काबू में करें । पत्नी के प्रेमी का पता लगाए । सौतन से छुटकारा पाएं । हर बीमारी से मुक्ति पाएं । नौकरी रोजगार पाएं । हर चीज के लिए ताबीज उपलब्ध । बाबा अली वारसी आपके शहर में । फलां फलां होटल में कमरा नंबर 13 सिर्फ तीन दिन के लिए । मौके का फायदा उठाएं ।"
अंचल के लेखक शरद कोकस बताते हैं कि राज्य बनने के पहले इसी तरह का एक विज्ञापन समाचार पत्रों छपता था। जिला साक्षरता समिति के अध्यक्ष और उस समय के कलेक्टर ने जब अखबार में यह विज्ञापन देखा तो उन्होंने कहा "जाओ भाई पता लगाओ बाबा के बारे में।"
उनकी टीम बाबा के पास पहुंची। एक टीम मेंबर नकली ग्राहक भी बन गया। हालांकि इस तरह के बाबाओं को पकड़ने के लिए पूरी तैयारी करनी होती है । नकली ग्राहक बनकर जाना पड़ता है, फिर उसके बाद पुलिस में शिकायत करनी पड़ती है। तब 'ड्रग एंड मैजिकल रेमेडी एक्ट 1954' के तहत यह अपराध दर्ज होता है।
लेकिन समिति के कुछ सदस्यों को इतना धैर्य नही रह गया था । पहुंच गए साथ में पुलिस लेकर । सबसे पहले तो बाबा की तलाशी हुई।
श्री कोकस आगे बताते हैं, बाबा की जेब से दवाई का एक पर्चा निकला जिसमें गोंदिया के किसी डॉक्टर का मेडिकल प्रिसक्रिप्शन था।
बाबा से पूछा "भाई यह सब क्या है ?"तो उसने बताया कि उसके बेटे की तबीयत खराब है डॉक्टर से उसका इलाज चल रहा है।
जब उससे पूछा गया कि "भाई तुम तो लोगों का इलाज ताबीज से करते हो हर तरह की बीमारी का हर तरह की तकलीफ का इलाज, फिर अपने बेटे को डॉक्टर को क्यों दिखा रहे हो ?
जानते हैं उसने क्या जवाब दिया उसने कहा "साहब , लोग बेवकूफ हैं मैं तो नहीं हूं ।"
इस घटना का तात्पर्य यह है कि आपको कोई भी बीमारी हो तकलीफ हो तो उसका इलाज योग्य चिकित्सक से डॉक्टर से या मनोचिकित्सक से करवायें इस तरह के नीम हकीमो के चक्कर में ना पड़े ।
अफसोस की बात यह है कि राज्य बनने के 24 साल बाद भी इस तरंग भ्रामक दावो का बाजार गर्म है। आज भी बाबा गुनिया किस्म के लोग मिर्गी, गठिया, सिकलिन, नपुंसकता, जोड़ो के दर्द का शर्तिया इलाज का दावा करते है और लोग इनके पास जाते भी हैं।
आजकल के बाबा फोन पर ही इलाज का झांसा देते है। कई तो फोन नंबर के आधार पर इलाज को नए युग का विज्ञान बताते हैं।