भगवानपुर स्थित चांग माता देवी के मंदिर में दर्शन के लिए लगा भक्तों का तांता

भगवानपुर स्थित चांग माता देवी के मंदिर में दर्शन के लिए लगा भक्तों का तांता

-चांग देवी मंदिर का है धार्मिक के साथ ऐतिहासिक महत्व
-चैत्र नवरात्र में किया जाता है माता का विशेष श्रृंगार
-हजारों की संख्या में दर्शन करने पहुंचते है श्रद्धालु
एमसीबी / भगवानपुर (खगेन्द्र यादव)।  भक्ति और आस्था के साथ पुरातात्विक तीर्थ स्थलीय केंद्रो पर जगत जननी मां जगदम्बे के कई रूप विराजमान है, जो कि अपने आप में एक अलग महत्व रखते है। माता का एक ऐसा ही रूप मां चांग देवी चांगभखार में देखने को मिलता है, जहां कई वर्षों से अनवरत अखंड दीप ज्योति प्रज्ज्वलित है। पाठकों को बताना चाहेंगे कि छत्तीसगढ़ राज्य के एमसीबी जिले में शामिल विकासखंड भरतपुर के मुख्यालय जनकपुर से महज 7 किलोमीटर दूर भगवानपुर नामक ग्राम में शक्ति स्वरूपा मां चांग देवी अपनी अलौकिक शक्ति के साथ विराजमान हैं। जिस प्रकार सरगुजा संभाग के महामाया, कुदरगढ़ी महारानी की पूजा अर्चना की जाती है ,उसी प्रकार चांगभखार में मां चांग देवी का महत्वपूर्ण स्थान है। प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छादित और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत मनोहारी दृश्य वाला यह महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ पुरातात्विक केंद्र भी है।माता रानी यहां कब से विराजमान है इस बारे में किसी को भी स्पष्ट जानकारी नहीं है, मगर अंदाजा लगाया जाता है कि जिस समय यहां पर चांगभखार रियासत थी उसी समय के शासको द्वारा यहां माता रानी की पूजा अर्चना की जाती थी, जो निरंतर यहां आने वाले भक्तों द्वारा भी लगातार की जा रही है।

-“श्रद्धा भक्ति में भक्तों की हो रही निरंतर वृद्धि”
इस क्षेत्र में विराजमान मां चांग देवी जिनके श्रद्धा और भक्ति से संपन्न भक्तों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। यहां की मान्यता यह भी है कि जो भी भक्त यहां माता के दर्शन के लिए आते हैं उन्हें मां चांग देवी अपनी अनुभूति अवश्य कराती है। मां की आरती में इतनी अलौकिकता झलकती है कि हर भक्त मंत्र मुक्त होकर झूमने लगता है।
-“मां चांग देवी के दरबार में प्रज्वलित है अखंड ज्योति”
माता रानी के इस पवित्र स्थल में माता की सेवा करने वाले पुरोहित की माने तो विगत कई सालों से माता रानी के दरबार में अखंड ज्योति प्रज्वलित है।बात की जाए मनोकामनाओं की तो माता के दरबार में सच्चे मन से जो भी भक्त अपनी मनोकामनाएं यहां पर लेकर आते है, उसे माता रानी मां चांग देवी अवश्य पूरा करती है।

-“नवरात्रि में चंडी यज्ञ अनुष्ठान की अलग है महत्ता”
मां चांग देवी जिनके दरबार में अनवरत अखंड दीप ज्योति प्रज्वलित तो हो ही रही है उसके साथ ही दोनों नवरात्रि में सत चंडी यज्ञ अनुष्ठान भी होता हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पर जो भी कार्यक्रम आयोजित होते हैं, वह किसी से चंदा लेकर आयोजित नहीं किया जाता बल्कि माता रानी के दरबार में दान के रूप में प्राप्त हुए सहयोग से ही यज्ञादि वैदिक आचार्य द्वारा संपन्न कराया जाता है और मां की कृपा से जितनी राशि की आवश्यकता होती है, उतना ही प्राप्त होता है। मां के सभी सेवक अवैतनिक रूप से अपनी भक्ति भाव के साथ-साथ निष्काम सेवा में तत्पर रहते हैं।
-“हिंदू- मुस्लिम एकता की मिसाल है मां चांग देवी मंदिर”
चांगभखार रियासत की माता मां चांग देवी हिंदू मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों के लिए पूजनीय हैं। यह मंदिर एकता की मिसाल है। इस मंदिर में दोनों ही धर्म के लोग एक साथ माता के दर्शन करने आते हैं। मुस्लिम धर्मावलंबियों का भी मानना है कि माता चांग देवी हमारे ही इलाके की कुलदेवी है। नवरात्रि के पावन अवसर पर चांग माता के दर्शन करने छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश तक से श्रद्धालु आते हैं। चांग माता की ख्याति पूरे देश में फैली हुई है जिसकी वजह से दूर दराज से माता के दर्शन के लिए यहां श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है।

-“माता की अलौकिक शक्ति जिससे रियासत का राजा बालंद कभी नहीं हुआ पराजित”
इस चांगभखार रियासत के राजा बालंद जिनके ऊपर माता की असीम कृपा हमेशा बनी रहती थी। जब युद्ध के समय चौहान वंश के राजा उनसे जीत नहीं पाए तब खुद राजा बालंद ने उन्हें अपने पराजय ना होने का कारण बताया कि उन्हें माता चांग देवी का वरदान मिला है, जिसके कारण किसी भी युद्ध में उनकी मृत्यु नहीं हो रही। अगर उन्हें पराजित करना हो तो लकड़ी की तलवार से उसके गर्दन पर वार किया जाए तो ही उनकी मृत्यु होगी। इसके बाद चौहान राजाओं ने लकड़ी की तलवार से राजा पर हमला करते हुए उसे परास्त किया और राज्य की सत्ता हासिल की। वह लकड़ी की तलवार आज भी अपने उस मूल स्थान पर है जो की भरतपुर विकासखंड के खोहरा नामक एक जगह है जहां कभी बालंद राजाओं का शासन हुआ करता था।