होम / दुर्ग-भिलाई / भागवत कथा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मानव जीवन को उसके वास्तविक उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन कराने वाली गाथा है - संत निरंजन
दुर्ग-भिलाई
-कथा के दूसरे दिन राजा परीक्षित जन्म और सुखदेव आगमन के प्रसंग का हुआ वर्णन
दुर्ग। पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू धर्मपत्नी श्रीमती स्व.कमला देवी साहू की पुण्य स्मृति में गृह ग्राम पाऊवारा में आयोजित किए जा रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के द्वितीय दिवस में कथा के दूसरे दिन राजा परीक्षित जन्म और सुखदेव आगमन के प्रसंग का हुआ वर्णन।
ग्राम पाऊवारा में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन गुरुवार को संत निरंजन जी महाराज ने परीक्षित जन्म, सुखदेव आगमन की कथा सुनाई। जिसे सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे।
संत निरंजन महाराज लिमतरा आश्रम ने कहा कि जीवन मे काम क्रोध लोभ मद मोह मत्सर ये षडविकार है इसे त्याग कर ही प्रभु को प्राप्त किया जा सकता है। जीवन से दुर्गुणों का त्याग करे और सद्गुण को अपनाये। अभिमान पतन का मूल कारण है जो जीवन का विनास कर देता है इसलिए कभी भी अभिमान न करे। अभिमान के प्रकार बहुत है तन का, मन का, धन का, पद का, प्रतिष्ठा का, रूप का रंग का, बहुतही प्रकार के है अभिमान के वृक्ष में अभद्रता के पुष्प और विनास का फल तैयार होता है इसलिए अभिमान को त्यागे और जीवन मे प्रेम की प्रगाढ़ता को बढ़ाये।
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उक्त संदेस श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ ग्राम पाऊवारा जिला दुर्ग में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में सहभागिता की। साहू परिवार के शुभसँकल्प से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस में राजा परीक्षित जन्म और सुखदेव आगमन की कथा पर आध्यात्मिक विवेचन करते हुए छत्तीसगढ़ के यशस्वी संत सद्गुरु संत निरंजन महाराज जी श्री भागवत आश्रम लिमतरा ने कहा। संत श्री ने आगे कहा, प्रभु के दरबार मे न कोई छोटा बड़ा ऊंच नीच नही है सभी के लिए प्रभु का प्रेम बराबर है, इंसानियत से बड़ी कोई जाति नही न हम ब्राह्मण है न हम क्षत्रिय न हम वैश्य न हम शुद्र प्रभु कहते है सर्वप्रथम हम इंसान है और इंसान बन कर इंसानियत का त्याग मत कर। भगवान की तरह बनने की चाहत तो सभी को होती है लेकिन भगवान बनने की चाहत को छोड़ कर जिस दिन हम इंसान बन गए तो मानो राम राज्य स्थापित हो गया।आज पशुओं के अंदर मानवीय संवेदना देखने को मिलती है इसलिए इंसान बने।
भक्त के प्रेम में वशीभूत होकर परमात्मा बन्धन में बंध जाते है, संसार में जीव का अस्तित्व कन्या की भांति है जैसे कन्या अपने नैहर से बिदा ले ससुराल जाकर सबको मानती है तो पति को जानती है ऐसे ही हम सब जीव कन्या की भांति है जब तक इस संसार रूपी नैहर से बिदा नही लेंगे तब तक श्याम पिया से मिलन सम्भव नही।
जीव और शिव दोनो एक ही है दोनो में कोई अंतर नही, किसी के प्रति अमंगल की भावना से किया गया कोई भी यज्ञ सफल नही होता और इसका उदाहरण दक्ष के यज्ञ का विनास है । भगवान शंकर विश्वास के प्रतीक है श्रद्धा बदलती है बढ़ती है परिवर्तित होता है लेकिन विश्वास अटल रहता है बिना विश्वास के भगवान की भक्ति सम्भव नही।
इसलिए व्यक्ति को सदैव शुभ कर्म करने और ईश्वर में ध्यान लगाने का प्रयास करना चाहिए।
यजमान पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू,जितेंद्र साहू, सरिता साहू, भूषण साहू, योगिता साहू, हर्ष साहू, केशर साहू, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पुष्पा यादव, दुर्ग जनपद के पूर्व अध्यक्ष देवेंद देशमुख, नगर पालिक निगम रिसाली की महापौर शशि सिन्हा, रामकली यादव, पूर्व जिला पंचायत सदस्य योगिता चंद्राकर, लक्ष्मी साहू, रमा साहू, नगर पंचायत उतई के पूर्व अध्यक्ष डिकेंद्र हिरवानी, जनपद पंचायत दुर्ग के उपाध्यक्ष राकेश हिरवानी, जनपद सदस्य झमीत गायकवाड सहित अन्य शामिल हुए।
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