-मत्स्य पालन से 6 माह में अर्जित कर रहे 30 लाख रुपये की आय
बालाघाट । बालाघाट जिले के बैहर विकासखंड के नक्सल प्रभावित एवं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के ग्राम बिठली में महेश प्रसार हरिंद्रवार मत्स्य पालन का कार्य कर एक नई मिसाल बन रहे है। अपने मत्स्य पालन के व्यवसाय से वे 6 माह में ही 30 लाख रुपये तक की आय अर्जित कर रहे है। उनके इस व्यवसाय में उनके बेटे भी हाथ बटा रहे है और 7 अन्य लोगो को रोजगार भी दे रहे है।
66 वर्षीय महेश प्रसाद हरिंद्रवार ने बताया कि वर्ष 2012 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत उन्होंने मत्स्य पालन के लिए नर्सरी तैयार की थी। शुरू में उसका व्यवसाय ठीक से नही चल रहा था, लेकिन वर्ष 2021 में कोविड के दौरान उसके व्यवसाय ने गति पकड़ ली। आज वह अपने तीन एकड़ क्षेत्र में नर्सरी से मछली विक्रय का कार्य कर रहे है। उनके पास 10 एकड़ का एक पुश्तैनी तालाब है, जिसमें साल भर पानी रहता है।
महेश प्रसाद ने बताया कि सहायक मत्स्य अधिकारी श्रीमती मीना कोकोटे के सहयोग एवं प्रोत्साहन से उन्होंने अपने इस व्यवसाय को आगे बढ़ाया है। उनके द्वारा शासकीय मत्स्य बीज प्रक्षेत्र मुरझड़ से जीरा फ्राई आकार का मत्स्य बीज लाकर अपने नर्सरी में डाला जाता है और फिंगर लिंग आकार का होने पर उसकी पेकिंग कर 500 से 650 रुपये प्रतिकिलो की दर से मछुवारों एवं मत्स्यपालकों को अपने तालाब में डालने के लिए विक्रय किया जाता है। वे मत्स्य विक्रय का कार्य मई से लेकर अक्टूबर माह तक करते है। मुरझड़ प्रक्षेत्र से रोहू, कतला, मृगल मछली का बीज लाकर अपनी नर्सरी में डालते है, जबकि रूपचंदा, ग्रासकार्प, कामनकार्प, फंगेसियस मछली छत्तीसगढ़ से फिंगर लिंग आकार की लेकर आते है। वे अपनी नर्सरियों में मछलियों को उच्च गुणवत्ता का आहार देकर कम समय में फिंगर लिंग आकार का तैयार कर लेते है।
महेश प्रसाद ने बताया कि मत्स्य बीज लाकर अपने नर्सरी में बड़ा करने और बड़ा करने के बाद बेचने का कार्य मई से लेकर अक्टूबर माह तक चलता है। इससे उन्हें 30 लाख रुपये तक की आय होती है। अक्टूबर माह के बाद अपने बड़े तालाब में पाली गई मछलियों को बड़ा होने पर बेचने का कार्य करते है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत मत्स्य विक्रय के लिए उन्हें अनुदान पर पिकअप वाहन भी मिला हुआ है। इससे वे बैहर, बिरसा एवं परसवाड़ा क्षेत्र में मछलियों का विक्रय करते है।
महेश प्रसाद ने बताया कि आदिवासी क्षेत्र के मत्स्य पालकों के तालाब में गर्मी के दिनों में पानी नही रहता है इसलिए वे फिंगर लिंग आकार की मछलियॉ अपने तालाब में डालकर उन्हें बड़ा करते है। वे अपने फार्म से प्लास्टिक के पैकेट में ऑक्सीजन गैस मिलाकर मत्स्य पालकों को मछलिया देते है। उनके इस कार्य में 35 वर्षीय पुत्र प्रदीप हरिंद्रवार एवं उनका छोटा बेटा पूरी मदद करते है। उनके फार्म पर 07 लोगो को नियमित रूप से काम मिल रहा है। महेश प्रसाद ने अपने फार्म पर मुर्गी फार्म भी बना रखा है, जिससे वे कॉकरेल व बायलर का विक्रय करते है। उन्होंने बताया कि उनके मत्स्य फार्म से लगा हुआ लगभग 03 एकड़ का खेत है, जिससे वे हर साल 03 से 04 लाख रुपये तक की धान बेच देते है।
सहायक मत्स्य अधिकारी श्रीमती मीना कोकोटे ने बताया कि महेश प्रसाद को सर्व सुविधायुक्त आलीशान फिश पार्लर भी स्वीकृत किया गया है, यह फिश पार्लर बिठली में शासकीय जमीन पर बनाया जाना प्रस्तावित है और इसका कार्य शीघ्र प्रारंभ होने वाला है। इससे इस आदिवासी क्षेत्र में मत्स्य पालन को प्रोत्साहन मिलेगा और आदिवासी भाईयों की आय में ईजाफा होगा।
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