होम / बड़ी ख़बरें / “न्यायालयीन आदेशों के बावजूद लाभ से वंचित शिक्षक, शिक्षा मंत्री से त्वरित निर्णय की अपील”
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-शिक्षकों की पीड़ा और मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने सौंपा 11 सूत्रीय मांग पत्र
-20 वर्ष सेवा के बाद भी नियमितीकरण से वंचित शिक्षक, असुरक्षा और उपेक्षा में गुज़ार रहे जिंदगी”
-“छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने कहा – शनिवार को केवल सुबह तक हो विद्यालय संचालन”
दुर्ग। छत्तीसगढ़ के शिक्षकों की वर्षों से लंबित समस्याओं और उनकी पीड़ा को सामने रखते हुए छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव को 11 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है। संघ ने स्पष्ट कहा है कि शिक्षक समाज प्रदेश की रीढ़ है, लेकिन आज वही रीढ़ असुरक्षा और उपेक्षा के दर्द से गुजर रही है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि वर्ष 2018 और 2028 से पूर्व भर्ती शिक्षकों का नियमितीकरण अब तक नहीं हुआ है। सेवा में वर्षों गुजार चुके शिक्षक आज भी अस्थायी की तरह काम कर रहे हैं, जो उनके आत्मसम्मान और भविष्य दोनों के साथ अन्याय है। साथ ही, 20 वर्ष सेवा पूर्ण कर चुके शिक्षकों को समयमान वेतनमान और एसीपी का लाभ नहीं मिलना उनकी मेहनत और समर्पण के साथ नाइंसाफी है।
उन्होंने कहा कि न्यायालय द्वारा कई अवसरों पर शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिए जाने के बावजूद शासन स्तर पर उनका क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। न्यायालयीन आदेशों की अनदेखी से शिक्षकों में गहरी नाराज़गी और अविश्वास का भाव है।
संघ ने मांग की है कि रिक्त पदों पर शीघ्र पदोन्नति दी जाए, प्रयोगशाला, पीटी, कला, संगीत और अन्य विषयों के शिक्षकों की भर्ती सुनिश्चित की जाए, ताकि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। इसके अलावा ज़ेड वर्ग के शिक्षकों को भी न्यायालयीन आदेशानुसार सेवा लाभ दिए जाएं।
प्रदेशाध्यक्ष ने यह भी कहा कि विद्यालयों में अतिरिक्त कार्यरत शिक्षकों का उचित समायोजन किया जाए और शिक्षकों के जीपीएफ जमा राशि, एचआर से जुड़े प्रावधान एवं अन्य वित्तीय लाभ समय पर उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि शनिवार को विद्यालयों का संचालन केवल सुबह तक रखा जाए, ताकि शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों को राहत मिल सके और शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सकारात्मक असर पड़े।
शिक्षकों की वेदना..
संघ का कहना है कि शिक्षक वह वर्ग है, जो समाज की नींव तैयार करता है। लेकिन आज वही वर्ग अपमान, असुरक्षा और अव्यवस्था का सामना कर रहा है। 15-20 साल तक सेवा देने के बाद भी जब शिक्षक अस्थायी कहलाते हैं तो यह स्थिति केवल उनके लिए ही नहीं बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
संघ ने शासन से इन मांगों पर सकारात्मक पहल हेतु आवश्यक निर्णय का आग्रह किया है ।
संघ ने शिक्षा मंत्री से भावनात्मक अपील की है कि इन मांगों को केवल कागज़ी कार्रवाई न समझकर शिक्षकों की वास्तविक पीड़ा मानते हुए त्वरित निर्णय लें, ताकि शिक्षक सम्मान के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें और विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
उक्त ज्ञापन कार्यक्रम में प्रदेश संगठन से बसंत चतुर्वेदी,देवनाथ साहू,मनोज सनाढ्य,शैलेन्द्र यदु,योगेश ठाकुर,बाबूलाल लाड़े,जिलाध्यक्ष द्वय शत्रुहन साहू,गोपी वर्मा,संतोष सिंह, डॉ.भूषण चंद्राकर,दिलीप साहू, श्री हरि,संजय राजपूत,जयंत यादव,सरस्वती गिरिया, टामीन वर्मा,किशन देशमुख,महेश चंद्राकर, राजेश चंद्राकर,मंशा राम लहरें,रोहित देशमुख, चंद्रहाश,शरद शुक्ला, हंस मेश्राम,राजेश साहू,देवेंद्र साहू,मनोज वर्मा,आशुतोष तिवारी, महेश उइके,किसन देशमुख,माधव साहू सहित संगठन के जिला,ब्लॉक के पदाधिकारीगण उपस्थित रहे।
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सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।
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