होम / बड़ी ख़बरें / गणपति विहार में काव्य गोष्ठी : कवियों ने मानवता, प्रेम और सामाजिक सरोकारों को दी आवाज़
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-चिराग के अलग होने से रोशनी अलग नहीं होती, मतभेदों को छोड़ने का आग्रह किया
दुर्ग। गणपति विहार में आयोजित एक भावपूर्ण काव्य गोष्ठी में क्षेत्र के प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को संवेदनशील और गहन संदेश दिए। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. अजय आर्य ने किया।
कविता पाठ की शुरुआत प्रेम सिंह "काव्या" ने की। उन्होंने अपनी पंक्तियों "मानव से मानव को मुक्त मिलन चाहिए, नफरत इंसान से श्वानों से प्यार है" के माध्यम से मानवता का आह्वान किया।
वेणु कुरेशिया ने वर्तमान समय की सबसे बड़ी चिंता, बालिकाओं की सुरक्षा, पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं-मांऐं सहमी हुई है, पिताऐं भी भयभीत हैं, अपनी लाडली की सुरक्षा के लिए हर अभिभावक चिंतित हैं।"
डॉ. अल्पना त्रिपाठी ने रिश्तों की विडंबना और सोशल मीडिया के दौर में आई दूरी पर अपनी पंक्तियाँ प्रस्तुत कीं— "हम इतने सगे हैं कि हमारा डीएनए मिलता है, पर मन नहीं।"
हेमलाल कुरेशिया ने अपनी रचना ‘इंजीनियर कवि’ में तकनीकी ज्ञान और संवेदनाओं के अद्भुत संगम को रेखांकित किया।
श्रीमती सुनीता परगनिहा ने उत्तराखंड त्रासदी के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा-"उत्तरांचल की माटी में, केदारनाथ की घाटी में, जिसने प्राण गंवाए हैं, उन्हें गंगा मैया गले लगाई है।"
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अजय आर्य ने कहा तेरा चिराग अलग है मेरा चिराग अलग है उजाला तो फिर भी जुदा नहीं होता।। उन्होंने मतभेदों को छोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने अपनी प्रेम श्रृंगार रस की कविता मुझको भी जीने की वजह दे दे और तेरी यादों की चादर ओढ़ कर सो रहा हूं सुनाया, जिसे श्रोताओं ने पसंद किया।
पंडित राजेन्द्र शर्मा ने परिवार और प्रेम की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा- "प्रेम और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानव समाज को परमात्मा का सर्वोच्च वरदान है, परिवार में पति–पत्नी का प्रेम ही धरती को स्वर्ग बनाता है।"
इसके अतिरिक्त, सीता देवी गुप्ता, धीरेंद्र सिंह, के.डी. वैष्णव और मन्नूलाल ने भी अपनी कविताओं में सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर गहन अभिव्यक्तियाँ दीं। सभी कवियों की रचनाओं को श्रोताओं ने सराहा और भावविभोर होकर तालियों से अभिनंदन किया।
आयोजन मंडल में महेश शर्मा, प्रमोद सिन्ह, धर्मेंद्र सिंह, प्रवीण पटेल,निशिकांत परगनिहा, डॉ. छावड़ा, दीपा माखीजानी, पतिराम साहू, रेखा बोहरे और भूषण देवांगन शामिल रहे। सभी ने मिलकर कवियों का सम्मान किया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसे अम्बरीश त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया।
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