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आत्मदर्शन से ही जाग्रति और जीवन में यथार्थ का बोध संभव – साध्वी श्री आज्ञायशा श्रीजी

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-श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में साध्वी श्री आज्ञायशा श्रीजी का प्रवचन
नगपुरा
। श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में चल रही चातुर्मास प्रवचन माला में साध्वी श्री आज्ञायशा श्रीजी म.सा. ने श्री आचारांग सूत्र का संदर्भ लेते हुए कहा कि श्रमण भगवान श्री महावीर स्वामी ने फरमाया है – आत्मदर्शन से शून्य व्यक्ति अज्ञानी है और सोया हुआ है, जबकि आत्मदर्शी व्यक्ति सदैव जागृत रहता है।

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उन्होंने कहा कि जो स्वयं को, अपनी शक्तियों, कमजोरियों और भावनाओं को अच्छी तरह समझता है तथा सत्य का अनुशरण करता है, वही आत्मदर्शी होता है। आत्मदर्शी व्यक्ति मन-वचन-काया के प्रति सदैव सचेत रहता है, अपनी गलतियों को स्वीकार कर उनसे सीखता है और दूसरों के प्रति समभाव रखता है।
साध्वीश्री ने कहा कि आत्मनिरीक्षण कठिन अवश्य है, लेकिन यह जीवन की सफलता के लिए अनिवार्य है। सही मूल्यांकन के अभाव में भ्रम उत्पन्न होता है और हम दूसरों का आंकलन करने लगते हैं, जबकि आत्मलक्षी व्यक्ति अपने दोष पहचान कर उन्हें दूर करने का प्रयास करता है। भीतर और बाहर की घटनाओं का यथार्थ बोध कर, यथार्थ के धरातल पर जीवन जीने के लिए आत्मा के प्रति सदैव जागृत रहना आवश्यक है।

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विशेष अनुष्ठान..
श्रावण पूर्णिमा पर देशभर से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं एवं पूनम यात्रियों ने तीर्थ यात्रा कर अभिषेक किया। नवसारी (गुजरात) संघ के यात्रियों ने वासक्षेप पूजा एवं श्री वर्धमान शक्रस्तव मंत्रोच्चार के साथ तीर्थपति का महाभिषेक किया। रविवार सुबह 9 बजे से श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का आयोजन होगा।

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