नगपुरा। श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में आयोजित आठ दिवसीय "श्री नेम-लब्धि अष्टान्हिका महोत्सव" का भव्य समापन हुआ। यह महोत्सव तीर्थंकर श्री नेमनाथ प्रभु के जन्म-दीक्षा कल्याणक, श्री पार्श्वनाथ प्रभु के निर्वाण कल्याणक एवं व्याख्यान वाचस्पति पूज्यपाद आचार्य श्रीमद् विजय लब्धि सूरीश्वर जी म. सा. की 64वीं पुण्यतिथि के निमित्त आयोजित किया गया था।
श्रावण सुदी तृतीया से श्रावण सुदी नवमी तक चले इस महोत्सव में भक्ति संध्या, महापूजन, संयम-संवेदना जैसे विविध धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों ने श्रद्धालुओं को भावविभोर किया। देशभर से आए सैकड़ों श्रद्धालु चातुर्मास आराधना में निमग्न हैं और तीर्थ परिसर में जप, तप व अनुष्ठान का अलौकिक वातावरण बना हुआ है।
प्रवचन माला में साध्वी श्री लब्धियशा श्री जी ने आचारांग सूत्र के माध्यम से बताया कि "बंधन और मोक्ष स्वयं की भावनाओं पर निर्भर है। मन की निर्मलता मोक्ष की ओर ले जाती है, जबकि उसकी चंचलता संसार भ्रमणा का कारण बनती है।" उन्होंने समझाया कि मनुष्य की मानसिक स्थिति ही उसे जन्म-मृत्यु के चक्र में बांधती है या उससे मुक्ति दिला सकती है।
वहीं, साध्वी श्री लक्ष्ययशा श्री जी म. सा. ने प्रवचन में कहा, "शरीर, मन और आत्मा तीनों परस्पर जुड़े हैं और आत्मकल्याण के लिए इनका संतुलन आवश्यक है। विषयों से विरक्त होकर आत्मा से जुड़ना ही आध्यात्मिक यात्रा का सार है।"
महोत्सव के दौरान कविताबेन दोशी (बदलापुर), शा. जांवतराज छोगाजी परिवार (साँचोर), उज्ज्वलाबेन अनिलजी गांधी (नागपुर), प्रवीण वोरा, दिलीप श्रीश्रीमाल, अशोक विनायकीया, महेन्द्र सिंघी, बाबूलाल बागरेचा, मोहनलाल बागरेचा, दिनेश धोका, तथा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चिराग जैन (आई.पी.एस.) सहित अनेक विशिष्ट अतिथियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
ट्रस्ट मंडल की ओर से अध्यक्ष गजराज पगारिया, मैनेजिंग ट्रस्टी पुखराज दुगड़, ट्रस्टी मूलचंद जैन, चातुर्मास सह-संयोजक मयूरभाई सेठ ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्हें तीर्थ पति की प्रतिमा भेंटकर सम्मानित किया।
महोत्सव की संपूर्ण श्रृंखला में धर्म, भक्ति और संयम की भावनाओं ने तीर्थ नगरी को आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण कर दिया।
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