दुर्ग। पिछले एक महीने से समितियों में मांग की तुलना में खाद का आधा भंडारण ही होने के कारण कृषि कार्य छोड़कर समितियों का चक्कर काट रहे हैं, धान की बोनी करने के लिए डीएपी खाद और बाद में यूरिया खाद जरूरी है, समितियों में खाद समय पर उपलब्ध नहीं होने क कारण किसान बाजार से अधिक दाम में खरीदने के लिए मजबूर है। मौके का नाजायज़ फायदा उठाया जा रहा है धड़ल्ले से अमानक खाद की बिक्री हो रही है। समितियों में उच्च गुणवत्ता के धान के बीज भी उपलब्ध नहीं है।
बड़ी संख्या में किसान रोपा पद्धति से खेती करते हैं सिंचाई पंप वाले किसान थरहा डालते हैं जिनमें पानी की जरूरत होती है लेकिन जब किसानों को जरूरी है बिजली आपूर्ति में बड़ी बाधा आ रही है। अधिकतर ट्रांसफार्मर में क्षमता से अधिक भार है ट्रांसफार्मर जल जाते हैं। किसानों के पंप भी जल जाते हैं, ब्रेकडाउन की स्थिति में न कर्मचारी पर्याप्त है और न सामग्री उपलब्ध है। खाद बीज की कमी और बिजली की समस्या के कारण धान के उत्पादन और उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है।
सरकार धान खरीदी से छुटकारा पाना चाहती है इसलिए खाद, बीज और बिजली का संकट जानबूझकर पैदा किया गया है।
किसानों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह धान खरीदी से छुटकारा पाना चाहती है इसलिए खाद, बीज और बिजली का जानबूझकर के कृत्रिम संकट पैदा किया गया है ताकि किसान पूरी क्षमता से धान की बोनी न करें।
छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के आज के प्रदर्शन में जिला भर से आए आधा सैकड़ा किसान शामिल हुए। प्रदर्शनकारी किसान पटेल चौक में इकट्ठा हुए और रैली निकाल कर नारेबाजी करते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और मुख्यमंत्री ने नाम डिप्टी कलेक्टर पिस्दा को ज्ञापन सौंपा।
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