राजनीति

मुख्यमंत्री श्री साय ने नवनिर्मित आधुनिक आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई और केन्द्रीय भंडार गृह परिसर का किया लोकार्पण

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- फारेस्ट टू फर्मेंसी मॉडल को साकार करने की दिशा में सरकार का ऐतिहासिक पहल
- 27.87 एकड़ क्षेत्र में 36.47 करोड़ रूपए की लागत से निर्मित है आधुनिक आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई
दुर्ग।
  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा के अंतर्गत ग्राम जामगांव (एम) में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित द्वारा निर्मित आधुनिक आयुर्वेदिक औषधि प्रसंस्करण इकाई एवं केन्द्रीय भण्डार गृह परिसर तथा स्प्रेयर बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अंतर्गत निर्मित हर्बल्स एक्सट्रेक्शन इकाई का लोकार्पण किया। इस अवसर पर वन मंत्री  केदार कश्यप, सांसद विजय बघेल, विधायक डोमन लाल कोर्सेवाड़ा,  सम्पत लाल अग्रवाल, ललित चन्द्राकर, गजेन्द्र यादव एवं  रिकेश सेन, पूर्व मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, पूर्व विधायक  दया राम साहू, महामण्डलेश्वर हरिद्वार श्रीश्री 1008 डॉ. स्वामी कैलाशनंद गिरी जी महाराज, स्थानीय आदिवासी स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम, वन विकास निगम के अध्यक्ष रामसेवक पैकरा, वन बल प्रमुख  व्ही. श्रीनिवास राव, छत्तीसगढ़ राज्य वनोपज संघ प्रबंध संचालक  अनिल कुमार साहू, छ.ग. राज्य वनोपज संघ के कार्यकारी अध्यक्ष  एस. मणिकासगन उपस्थित रहे। 

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मुख्यमंत्री श्री साय ने लोकार्पण के पहले प्रसंस्करण ईकाई परिसर में आंवला का पौधा रोपित किया। इसके साथ ही वन मंत्री श्री कश्यप ने सीताफल का पौधा, सांसद विजय बघेल ने बेल, महामंडलेश्वर श्रीश्री 1008 डॉ.स्वामी कैलाशनंद गिरी जी महाराज ने भी सीताफल का पौधा रोपित किया। छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक संसाधनों और पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय ने आज तीन आधुनिक हर्बल (आयुर्वेदिक) औषधीय संयंत्रों का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए वादे को हमारी सरकार ‘मोदी की गारंटी’ को पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूर्ण किया जा रहा है। हमारी सरकार डेढ़ वर्षो से लगातार विकास की ओर अग्रसर है। तीन करोड़ जनता से किए गए वादों को हमारी सरकार पूरा कर रही है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत पांच वर्षो में गरीब जनता ’’प्रधानमंत्री आवास योजना’’ से वंचित रह गई थी, जिसे हमारी सरकार बनते ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 18 लाख आवासों की स्वीकृति दी और निर्माण कार्य प्रारंभ किया, जो पूर्णता की ओर है। हमारी सरकार किसानों से 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान की खरीद की जा रही है, और उन्हें प्रति क्विंटल 3,100 रुपये की राशि प्रदान की जा रही है।

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महिलाओं को ‘महतारी वंदन योजना’ के तहत प्रतिमाह 1000 की आर्थिक सहायता राशि दी जा रही है, इस योजना के तहत 70 लाख से अधिक महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं। इस योजना के छूटे हुए पात्र हितग्राहियों को नये सिरे से जोड़ने की प्रक्रिया भी की जा रही है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘रामलला दर्शन योजना’ के तहत अब तक 22 हजार से अधिक श्रद्धालु अयोध्या यात्रा कर चुके हैं। उन्होंने आगे बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा शुरू की गई ’मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना’ को पुनः शुरू कर दिया गया है। योजना के तहत 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा और गंगा स्नान का अवसर निःशुल्क दिया जा रहा है। भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए राज्य सरकार ने ‘दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना’ के तहत सालाना 10 हजार की आर्थिक सहायता राशि दिया जा रहा है।
तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण दर 4500 से बढ़ाकर 5500 प्रति मानक बोरा कर दी है, जिससे लगभग 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। साथ ही पूर्ववर्ती सरकार में बंद हो चुकी ‘चरण पादुका योजना’ को भी फिर से शुरू किया गया है, जिसके अंतर्गत आज पांच हितग्राही महिलाओं को चरण पादुका प्रदान किया गया। 
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय की संवेदनशीलता को देखने को मिली। उन्होंने ग्राम बढ़भुम जिला बालोद निवासी महिला हितग्राही श्रीमती शकुंतला कुरैटी को अपने हाथों से चरण पादुका पहनाया। इसके साथ ही अन्य हितग्राही श्रीमती वैजयंती कुरैटी, श्रीमती निर्मला उईके, श्रीमती ललिता उईके, श्रीमती अघनतीन उसेंडी को भी वन मंत्री सहित सभी अतिथियों ने अपने हाथों से चरण पादुका पहनाया। 
राज्य में आयुर्वेद और वनौषधियों के महत्व को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने आज तीन नई हर्बल इकाइयों का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि इन इकाइयों से लगभग दो हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र से आच्छादित है। यह हमारे लिए सौभाग्य का विषय है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक औषधियों की कच्ची सामग्रियाँ जंगलों से एकत्रित कर संयंत्रों तक पहुंचाई जाएंगी, जिससे वनवासियों को सीधा लाभ होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रसंस्करण इकाई मध्य भारत का सबसे बड़ा प्रसंस्करण इकाई है। यह संयंत्र आयुर्वेदिक औषधि निर्माण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की पहचान राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेदिक केंद्र के रूप में बनेगी।
मुख्यमंत्री ने लोगों से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान में जुड़ने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी माँ के नाम पर कम से कम एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए और उसका संरक्षण करना चाहिए। इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी और प्रकृति के रूप में माँ के प्रति सम्मान बना रहेगा।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44.10 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र है। जिसके कारण राज्य में वनोपज की बहुलता है। यह प्रसंस्करण इकाई मध्य भारत का सबसे बड़ा प्रसंस्करण इकाई है। इसके प्रारंभ होने से वनोपज का संग्रहण, प्रसंस्करण के साथ-साथ वनोपज के उत्पाद को बेहतर बाजार मिलेगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का वनोपज को पूरी दुनिया तक पहुंचे इस उद्देश्य से इस इकाई की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 67 प्रकार के वनोपज का संग्रहण किया जाता है और वनोपज संग्रहण से जुड़े 13 लाख 40 हजार वनवासियों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। वन मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि मोदी की गारंटी के अनुरूप ’’चरण पादुका योजना’’ को पुनः प्रारंभ किया गया है।
 महा मण्डलेश्वर हरिद्वार, श्री श्री 1008 स्वामी कैलाशनंद गिरी जी महाराज ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आयुर्वेदिक औषधियां की महत्ता पर प्रकाश डाला ।
उल्लेखनीय है कि आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई छत्तीसगढ़ की समृद्ध वन संपदा को विज्ञान और आधुनिक तकनीक से जोड़कर ’’फारेस्ट टू फर्मेंसी मॉडल’’ को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। 27.87 एकड़ क्षेत्र में 36.47 करोड़ रूपए की लागत से निर्मित आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई से प्रतिवर्ष 50 करोड़ रूपए मूल्य के उत्पाद तैयार किये जाने का अनुमान है। यह इकाई प्रदेश के वनों में पायी जाने वाली औषधीय और लघु वनोपज जैसे महुआ, साल बीज, कालमेघ, गिलोय, अश्वगंधा आदि का संगठित एवं वैज्ञानिक प्रसंस्करण कर चूर्ण सिरप, तेल, टैबलेट एवं अवलेह जैसे गुणवत्तापूर्ण आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माण करेगी।

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यह इकाई छत्तीसगढ़ हर्बल्स ब्रांड के तहत प्रदेश के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय बाजारों में पहचान दिलाने का प्रमुख केन्द्र भी बनेगी। परियोजना के अंतर्गत 2000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं की प्राथमिक प्रसंस्करण कार्याें में भागीदारी सुनिश्चित होगी, जिससे उन्हें स्वरोजगार का अवसर मिलेगा। वही युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त होने से स्थानीय स्तर पर आजीविका के नए द्वार खुलेंगे। आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई में आधुनिक वेयर हाउस की 20,000 मीट्रिक टन की संग्रहण क्षमता विकसित की गई है, जिससे सीजनल वनोपजों के दीर्घकालीन संरक्षण एवं गुणवत्ता नियंत्रण में सहायता मिलेगी। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के वोकल फ़ॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के विजन को मूर्तरूप देती है। यह न केवल वन उत्पादों के स्थानीय मूल्य संवर्धन का उदाहरण प्रस्तुत करती है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन, आर्थिक विकास और सामाजिक समावेशिता को भी सशक्त बनाती है।

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