-आपातकाल निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु लगाना इसका निर्वाह आज भी कांग्रेसी कर रहे हैं -विजय बघेल
-आपातकाल देश का एक बुरा सपना था जिसे हर देश का नागरिक आज भी नहीं भूल पाया -सुरेंद्र कौशिक
-कांग्रेस के आपातकाल ने बेटों को माता, पिता की चिता को अग्नि देने तक नहीं दी : गजेंद्र यादव
-कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर देश के संविधान को लगातार कुचला - ललित चंद्राकर
दुर्ग। 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु देश में आपातकाल लगा दिया था जबकि उसे समय ऐसा कोई भी औचित्य नहीं था भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय प्रदेश नेतृत्व में दुर्ग जिला भाजपा कार्यालय में आपातकाल दिवस मनाते हुए मीशा बंदियों का सम्मान किया। साथ ही आपातकाल के ऊपर चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल, जिला भाजपा अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक, विधायक ललित चंद्राकर, गजेंद्र यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री रमशीला साहू, भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य उषा टावरी, चंद्रिका चंद्राकर, निवृत्तमान जिला अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा, कार्यक्रम प्रभारी दिनेश देवांगन, प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित नेताओं ने कांग्रेस के आपातकाल को लेकर कांग्रेस की कड़ी आलोचना की कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि आम जनमानस के बीच में कांग्रेस की इस हरकत को लेकर जाएं। कार्यक्रम के दौरान मीशा बंदी या उनकी अनुपस्थिति में उनके परिवारजनों को मोमेंटो साल एवं श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। जिनमें राम पाटनकर, ठाकुर जनार्दन सिंह,लक्ष्मी नारायण ठाकुर, चिंतामणि वामन, वासुदेव पाटनकर, गोवर्धन जायसवाल, स्व. मोहन लाल भैया पूर्व सांसद स्व. डॉक्टर वामन वासुदेव पाटनकर, स्व .दिनकर श्याम राव डांगे, कल्याण सिंह अग्रवाल,स्व. शामनदास रत्नानी, स्व.विरेंद्र दानी वकील, डॉ देवेंद्र दानी, स्व. डोमार सिंह चंद्रकार, स्व. डॉ लक्ष्मी नारायण चंद्राकर, स्व. ज्योति प्रकाश साहू, स्व. जागेश्वर साहू, स्व. मंगल दास जांगड़े, स्व. किशन लाल शर्मा सम्मानित किए गए। इस अवसर पर दुर्ग लोकसभा की सांसद विजय बघेल ने कहा कि संविधान हत्या दिवस 25 जून 1975 कांग्रेस द्वारा लगाया गया आपातकाल की लेकर मनाया जाता है आज उसकी 49वीं भर्ती है देश के लिए वह आपातकाल अत्यंत आवश्यक नहीं था लेकिन कांग्रेस की और खासकर के इंदिरा गांधी की सता की भूख को लेकर यह आपातकाल लगाया गया था।
दुर्ग जिला भाजपा अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक ने कहा कि 25 जून 1975 का यह आपातकाल देश के लिए एक जख्म है। सत्ता की भूख और लालच में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न सिर्फ देश को आपातकाल के गहरे अंधेरे कुएं में धकेल दिया जिससे आज तक कई लोग उभर नहीं पाए हैं। हमारे देश के एक काले अध्याय के रूप में आपातकाल है जिसे हर नागरिक को जानना चाहिए कि किस तरह से कांग्रेस ने अपनी संविधान का गलत इस्तेमाल किया और बनाए गए संविधान को किस तरह से कुचला आपातकाल’ कांग्रेस की सत्ता की भूख का ‘अन्यायकाल’ था। 25 जून 1975 को लगे आपातकाल में देशवासियों ने जो पीड़ा और यातना सही, उसे नई पीढ़ी जान सके, इसी उद्देश्य से मोदी सरकार ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ का नाम दिया। यह दिवस बताता है कि जब सत्ता तानाशाही बन जाती है, तो जनता उसे उखाड़ फेंकने की ताकत रखती है।
आपातकाल कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं, बल्कि कांग्रेस और एक व्यक्ति की लोकतंत्रविरोधी मानसिकता का परिचायक था। प्रेस की स्वतंत्रता कुचली गई, न्यायपालिका के हाथ बाँध दिए गए और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाला गया। देशवासियों ने ‘सिंहासन खाली करो’ का शंखनाद किया और तानाशाही कांग्रेस को उखाड़ फेंका। इस संघर्ष में बलिदान देने वाले सभी वीरों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
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