होम / दुर्ग-भिलाई / बंद हो नशा की दुकानें, सस्ता और सहज उपलब्ध नशा ने मासूम बेटियों की जान भी सस्ती कर दी: प्रेमलता देशमुख
दुर्ग-भिलाई
दुर्ग। दुर्ग जिले के छत्तीसगढ़ी समाज की महिला विंग की जिला अध्यक्ष प्रेमलता देशमुख ने दुर्ग में 6 साल की मासूम बच्ची के साथ हुए दरिंदगी को लेकर बड़ी बात कही है, उन्होंने कहा कि जिस तरह से एक मासूम बच्ची के साथ प्रथम दृष्टया जो कुछ तथ्य सामने आए उसके आधार पर कहा जा सकता है कि इस मामले में सस्ता और सुलभ हो रहे नशे ने एक मासूम बेटी के शरीर को गहरे जख्म देकर सगे दरिंदे चाचा ने मौत के घाट उतार दिया। कोई मानसिक रूप से स्वस्थ और मजबूत आदमी इस तरीके की हरकत नहीं कर सकता। जानवर भी इस तरीके की दरिंदगी नहीं करता कोई श्वान भी इस तरीके से नहीं नोचता है।
पुलिस बयान में यह साफ है कि युवक नशे का आदी था अर्थात नशा करके अपराध हो रहे हैं पुलिस स्वीकार रही है।पुलिस बोलचाल की भाषा में आम हो गया है।
-आखिर संरक्षण किसका नेता और पुलिस का काम क्या?
ऐसे कई अपराध क्षेत्र में हो रहे हैं जो नशा के दुष्प्रभाव है। सरकार छत्तीसगढ़ में 67 शराब दुकान खोल रही है दुर्ग जिले में लगभग 17 से 18 नई दुकान खोलने जा रही है। मतलब सीधे-सीधे अपराध को बढ़ावा देने जा रही है। नशा की सामग्रियां खुलेआम बिक रही है उसे अवैध कहकर पल्ला झाड़ना ठीक नहीं है नशा वैध हो या अवैध नशा तो नशा है। आसानी से पान ठेले में तंबाकू, गुटका, सिगरेट मिल रहे हैं तो वहीं सूखा नशा शासन प्रशासन के संरक्षण में बिक रहा है, नेता और पुलिसिया तंत्र अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं और अपराध से कन्नी काटने की कोशिश कर रहे हैं। हमें समस्त नशा का त्याग करना होगा और यह शासन को तत्काल प्रभाव से नशा मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने के लिए सोचना होगा तभी जाकर हमारी बेटियां और बेटे सुरक्षित रह पाएंगे। दरिंदगी की चर्चा कर इति श्री कर लेना पर्याप्त नहीं है मुख्य कारण नशा है, इसे समाज को स्वीकार करना होगा। थोड़े से तनाव के लिए धूम्रपान आज के युवाओं का फैशन बन गया है लड़कियां भी इसे फैशन मानने लगी है। आदमी को आखिर नशा ही क्यों करना है। ऐसे ही घटिया हरकत करने के लिए नशा किया जा रहा है फिर तो नशा बंद ही होना चाहिए। आसपास हो रहे नशे के कारोबार का विरोध करें।
-नशा मुक्त अभियान का ढोंग, लेकिन आध्यात्मिक जीवन से दूर हैं युवा...
हम सब इस मामले को लेकर आक्रोशित हैं सोच रहे हैं कि रिश्तो की मर्यादा तार तार हो गई, नौ कन्याभोज जैसी पवित्र संस्कृति पर चर्चा हो रही, कातिल को अपने- अपने तरीके से सजा देने की बात हो रही है। लेकिन नशाबंदी की मांग कौन कर रहा है? सरकार नशाबंदी के नाम पर नशा मुक्ति की ढोंग करते नजर आती है। आज के समय में युवाओं को आध्यात्मिक ज्ञान की बेहद आवश्यकता है जिस पर कोई बात ही नहीं होती। युवा मार्ग से भटक गए हैं क्योंकि सस्ता नशा सहज और आसान रूप से उपलब्ध है इसे मानना होगा। बारी किसी की भी आ सकती है हमें वक्त रहते संभलना होगा सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका है कल कोई और बेटी इससे भी वीभत्स दरिंदगी का शिकार न बन जाए। नशा अधर्म है इसका नाश बेहद जरूरी है। सबको मिलकर इसका विरोध करना होगा कोई हीरो नहीं आएगा जो इसके खिलाफ लड़ेगा आपको अपने घर से निकलना होगा इसका विरोध करना होगा।
संपादक- पवन देवांगन
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