कुरुक्षेत्र । जब आप किसी से बात कर रहे हों, तो कल्पना करें कि कोई व्यक्ति अचानक आपके पास आकर यह घोषणा कर दे कि सरकार ने उसे मृत घोषित कर दिया है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भी चौंकाने वाली घटना हुई, जहां जनसम्पर्क एवं शिकायत निवारण समिति की बैठक में सिरसमा गांव के बलवान सिंह ने मंत्री राजेश नागर के सामने अपना मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। अधिकारी और लोग तब चकित रह गए, जब बलवान सिंह ने कहा, "मैं जीवित हूं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में मुझे मृत दिखाया गया है। हालांकि मंत्री राजेश नागर पहले तो कुछ देर के लिए अचंभित रह गए, लेकिन उन्होंने जल्द ही हरियाणा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी इस प्रमाण पत्र के बारे में अधिकारियों से जवाब मांगा। शिकायत सुनने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हैरान रह गए। बलवान सिंह का मृत्यु प्रमाण पत्र तुरन्त रद्द कर दिया गया।
फिर भी, बलवान सिंह का कहना है कि केवल प्रमाण पत्र निरस्त करना पर्याप्त नहीं होगा; वह खुद को 'जीवित' दिखाने के लिए एक सरकारी कार्यालय से दूसरे कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने पूरे मामले की गहन जांच की मांग की है और कहा है, "अगर कल को कोई मेरी पेंशन या संपत्ति जब्त कर ले, तो कौन जिम्मेदार होगा?" बलवान सिंह की शिकायत सरकारी व्यवस्था की उदासीनता की ओर ध्यान आकर्षित करने के साथ-साथ यह मुद्दा भी उठाती है कि ऐसे मामलों में जिम्मेदारी क्यों नहीं तय की जाती।
अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की जाती, तो बलवान सिंह का सरकारी कार्यक्रमों और सुविधाओं से कोई संपर्क नहीं रह जाता। इस विचलित करने वाली घटना के बाद मंत्री राजेश नागर ने अधिकारियों को ऐसी लापरवाही न होने देने के सख्त आदेश दिए और मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि मामले की गहन जांच की जाएगी। सरकारी रिकॉर्ड में जीवित व्यक्ति को मृत घोषित करना न केवल हास्यास्पद है, बल्कि खतरनाक भी है।
बलवान सिंह की स्थिति कई अन्य लोगों की तरह ही है, जो संस्थागत विफलताओं का खामियाजा भुगत रहे हैं। उम्मीद है कि यह मामला एक उदाहरण पेश करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद करेगा। अगर आप भी सरकारी लापरवाही के शिकार हुए हैं, तो चिल्लाएं- क्योंकि जिंदा रहने के लिए सांस ही नहीं, सिस्टम से पहचान भी चाहिए!
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