होम / दुर्ग-भिलाई / ईश्वर जिज्ञासा का विषय है, परीक्षा का नहीं... आचार्य कुलदीप जोशी
दुर्ग-भिलाई
भिलाई। मैत्री विहार राधिका नगर भिलाई में चल रहे भागवत महापुराण कथा के दूसरे दिन आचार्य पण्डित कुलदीप जोशी द्वारा सती प्रसंग एवम् ध्रुवोपाख्यान कथा सुनाया गया। दक्ष द्वारा किए जा रहे यज्ञ में शिव जी को आमंत्रित नहीं किए जाने के बावजूद सती अपने पिता के घर चली गई वहां सभी देवताओं का यज्ञ में भाग देखे परन्तु शिव जी का भाग नहीं दिखा। सती ने दक्ष द्वारा महादेव का अनादर मानकर स्वयं यज्ञ वेदी में जीवन समाप्त कर दी। यह खबर सुन भगवान शिव सती के शरीर को लेकर पूरे पृथ्वी पर घूमने लगे। सती के शरीर का अंग जहां जहां गिरा वहां पर शक्ति पीठ बना है। आचार्य ने बताया कि शक्ति पीठ में किए गए जप तप व दान का हजारों गुना फल मिलता है। एक अन्य प्रसंग में त्रेता युग में भगवान राम वन में सीता की खोज में जा रहे थे तब पार्वती संदेह वश शिव जी से पूछती हैं की रामचंद्र जी भगवान हैं या साधारण मानव। ये सुन शिव जी बोले खुद ही जाकर परीक्षा कर लो। सती ने सीता का वेश बनाकर उनके सामने खड़ी हो गई, तब रामचंद्र जी ने प्रणाम कर भगवान आशुतोष कहां है पूछ लिया। सती का संदेह दूर हो गया। सती वापस शिव के पास आई तो शिव ने दिव्य दृष्टि से देख लिया पार्वती ने कैसे परीक्षा ली। उन्होंने सती का त्याग कर दिया। तात्पर्य ईश्वर जिज्ञासा का विषय है, परीक्षा का नहीं। ध्रुव चरित्र कथा में राजा उत्तनपाद की दो रानियां थी सुनीति और सुरुचि। एक बार सुरुचि पुत्र उत्तम को अपने पिता के गोद में बैठे देख सुनीति पुत्र ध्रुव भी पिता की गोद में बैठने की जिद कर रहा था। यह देख सुरुचि ने पांच वर्ष के बालक ध्रुव को झिड़क कर भगा दिया। ये वृत्तांत अपनी माता सुनीति को सुनाया तो सुनीति ने बालक ध्रुव को समझाया की परमात्मा सबके पिता हैं तुम उसकी गोद में बैठना। बालक ध्रुव जंगल की ओर चला गया, रास्ते में नारद ने उसे द्वादश अक्षर का मंत्र बता कर साधना करने कहा। ध्रुव कठोर साधना कर निर्विकार तप से ईश्वर को प्रसन्न किया । ईश्वर में उसे अपना परम पद प्रदान कर अटल स्थान दिया। ध्रुव पृथ्वी पर राज कर परमधाम को प्राप्त हुआ। ध्रुव चरित का सार यह है कि बड़ी से बड़ी कठिनाई में हमे विचलित नहीं होना चाहिए।
संपादक- पवन देवांगन
पता - बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)
ई - मेल : dakshinapath@gmail.com
मो.- 9425242182, 7746042182
हिंदी प्रिंट मीडिया के साथ शुरू हुआ दक्षिणापथ समाचार पत्र का सफर आप सुधि पाठकों की मांग पर वेब पोर्टल तक पहुंच गया है। प्रेम व भरोसे का यह सफर इसी तरह नया मुकाम गढ़ता रहे, इसी उम्मीद में दक्षिणापथ सदा आपके संग है।
सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।
Copyright 2024-25 Dakshinapath - All Rights Reserved
Powered By Global Infotech.