गांवों में सोलह सत्रह साल के बच्चे चला रहे हाइवा, लाइसेंस भी नहीं
दुर्ग। गांवों में सोलह-सत्रह साल के भी बच्चे हाइवा चलाना सीख गए है और बिना लाइसेंस के ग्रामीण क्षेत्रों में इसे चला भी रहे हैं। किसी दिन बड़ी दुर्घटना का अंदेशा है। यह समस्या बड़ी है। पर इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। पाटन क्षेत्र में यह प्रवृत्ति ज्यादा दिखती है। यह यातायात नियमों का सीधा उल्लंघन है। गांवों में नाबालिगों के हाइवा चलाने से यातायात नियमों की उल्लंघन होती है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है । नाबालिग ड्राइवरों के पास पर्याप्त अनुभव और ज्ञान नहीं होता है, जिससे वे स्वयं और अन्य लोगों के लिए खतरा बन सकते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है, जैसे कि नाबालिग ड्राइवरों के खिलाफ मामला दर्ज करना और उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। गांवों के लोग कहते है कि यातायात नियमों और सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता अभियान चलाने से इस समस्या का समाधान हो सकता है। साथ ही समाज के सदस्यों का सहयोग से नाबालिग ड्राइवरों के माता-पिता को जागरूक करना और उन्हें अपने बच्चों को ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।