दक्षिण भारत में जड़ें जमाने की कोशिश में भाजपा, केरल और तेलंगाना पहुंचेंगे जेपी नड्डा

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दक्षिणापथ. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की कांग्रेस सरकार में काफी लंबे वक्त से सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. लगातार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के खिलाफ बागी रुख अपनाया जा रहा है और हटाने की मांग उठ रही है.

इस बीच शुक्रवार को एक बार फिर नई दिल्ली में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से भूपेश बघेल और टीएस. सिंह देव (TS Singh Deo) की मुलाकात होनी है. माना जा रहा है कि ये मुलाकात छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के भविष्य को देखते हुए निर्णायक हो सकती है.

सूत्रों ने आजतक को जानकारी दी है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ये इच्छा जताई है कि भूपेश बघेल को राज्य में अब कमान टीएस सिंह देव के हाथ में सौंप देनी चाहिए. ये सबकुछ बिना किसी विवाद के होना चाहिए.

राहुल गांधी से होने वाली मुलाकात पर नज़र

ऐसे में इस पर शुक्रवार की बैठक में क्या फैसला होता है, इसपर हर किसी की नज़र है. पार्टी नेता केसी वेणुगोपाल को ये जिम्मेदारी दी गई है कि वह राज्य में सत्ता का ट्रांसफर बिना किसी दिक्कत के करवाएं. हालांकि, अभी तक पार्टी की ओर से इस मसले पर कोई पुष्टि नहीं की गई है और नेताओं को चुप्पी साधने की नसीहत दी गई है.

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी को हटाकर जब कांग्रेस की सरकार बनी, तब पार्टी ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री के रूप में चुना. लेकिन, ये भी साफ हुआ कि भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव में मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल के लिए बांटा जाएगा.

बीते दिनों राहुल गांधी के साथ हुई मुलाकात के बाद भूपेश बघेल की बॉडी लैंग्वेज में साफ बदलाव देखा जा रहा है. हालांकि, वह भी पूरी तरह से हार मानने को तैयार नहीं हैं.

देर रात पीएल पुनिया से मिले बघेल समर्थक

बदलाव की आहट के बीच छत्तीसगढ़ की राजनीति तेजी से बदल रही है. भूपेश बघेल कैंप के करीब 15 विधायकों ने बीती रात को प्रभारी पीएल पुनिया से मुलाकात की. देर रात को हुई इस मीटिंग में विधायकों ने नेतृत्व में किसी भी तरह के बदलाव को लेकर चेताया है.

खास बात ये भी है कि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी अपने विदेश दौरे से वापस लौट चुकी हैं. इस बीच बड़े फैसले के बीच उनपर भी निगाहें हैं. शुक्रवार को भूपेश बघेल जब दिल्ली आ रहे हैं, तब उनके साथ कई विधायकों, मंत्रियों का समर्थन भी है.

भूपेश बघेल के समर्थकों द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा है, जो केंद्रीय आलाकमान के लिए एक संदेश हो सकता है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने साल 2018 में भाजपा को करारी मात दी थी, कांग्रेस के पास इस वक्त राज्य में कुल 70 विधायक हैं. इसके बावजूद पार्टी अपने ही संकट से जूझ रही है.