प्रत्येक राशन दुकान में 7 व 8 तथा विधानसभा स्तरीय 10 व 11 को धरना प्रदर्शन को लेकर बेरला मंडल का बैठक सम्पन्न

प्रत्येक राशन दुकान में 7 व 8 तथा विधानसभा स्तरीय 10 व 11 को धरना प्रदर्शन को लेकर बेरला मंडल का बैठक सम्पन्न
RO.NO. 12945/82

RO.NO. 12945/82

RO.NO. 12945/82

-कामनलैण्ड फाउण्डेशन पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में बैगा बहुल दो ग्राम पंचायतों में कर रही है कार्य -पर्यावरण संरक्षण और आदिवासियों की आजीविका से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श दक्षिणापथ,रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से आज यहां उनके निवास कार्यालय में पर्यावरण की बेहतरी और आदिवासियों की आजीविका के लिए कार्य करने वाली नीदरलैंड की वैश्विक संस्था कामनलैण्ड फाउण्डेशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विलियम फरवेर्डा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। कामनलैण्ड फाउण्डेशन ने पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के बोडला विकासखण्ड की बैगा बहुल दो ग्राम पंचायतों धोलबज्जा एवं शंभूपीपर का चयन किया है। यहां यह संस्था आदिवासी जन समुदाय के साथ उनके पारंपरिक ज्ञान, विभिन्न योजनाओं के अभिसरण और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर पर्यावरण संरक्षण और आदिवासी समुदाय की आजीविका के साधनों के विकास के लिए कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने श्री विलियम के साथ राज्य में पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने एवं आदिवासी समुदाय की आजीविका से संबंधित संचालित योजनाओं और उनके सकारात्मक परिणामों के संबंध में विस्तार से विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने चर्चा के दौरान राज्य मे सुराजी गांव योजना के अंतर्गत संचालित नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी कार्यक्रम, गोधन न्याय योजना एवं मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के बारे में बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं के द्वारा स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है और इससे पर्यावरण भी संरक्षित हो रहा है। मुख्यमंत्री ने आदिवासी समुदाय को आजीविका के लाभप्रद साधन उपलब्ध कराने के लिए कॉमनलैण्ड फाउण्डेशन द्वारा चयनित ग्राम पंचायतों में वहां की जलवायु के अनुकूल फलों के व्यावसायिक उत्पादन को बढ़ावा देने और उनके प्रसंस्करण का कार्य प्रारंभ करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय जलवायु के अनुकूल अलग-अलग फलों के लिए अलग-अलग उद्यान विकसित किए जाने चाहिए। फलों का प्रसंस्करण भी वहीं किया जाना चाहिए। साथ ही फलदार पौधों की नर्सरी भी समीप में विकसित की जानी चाहिए। यहां पैदा होने वाले फलों के उपयोग से न केवल आदिवासियों के पोषण के स्तर में सुधार होगा, बल्कि फलों और फलों के प्रसंस्कृत उत्पादों के विक्रय से उन्हें अच्छी आमदनी भी होगी। इस अवसर पर कामनलैंड फाउण्डेशन के डायरेक्टर श्री लारेंस, सुश्री हरमा, दिल्ली के सुशील, आदित्य, फाउण्डेशन फॉर इकोलॉजिकल सेक्यूरिटी की मंजीत कौर बल एवं समर्थ संस्था से शुभांगी मौजूद थीं।