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भू-विस्थापितों की समस्याओं पर हो त्वरित निर्णय व क्षेत्र में खुले सुपर स्पेशिलिटी हास्पिटल व माइनिंग कॉलेज

SECL के अधिकारियों का जनप्रतिनिधियों से समन्वय का अभाव

कोयला मंत्री के साथ कोरबा साँसद की बैठक

दक्षिणापथ, नई दिल्ली । भारत सरकार के कोयला एवं खान मंत्रालय परामर्शदात्री समिति की बैठक 27 अक्टूबर को संसद भवन नई दिल्ली में केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक में कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद एवं परामर्शदात्री समिति की सदस्य श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत भी शामिल हुईं। सांसद ने संसदीय क्षेत्र के कोरबा व कोरिया जिले में संचालित लगभग 2 दर्जन कोयला खदानों का जिक्र करते हुए कहा कि देश में कोयला का कुल उत्पादन 720 मिलियन टन लक्ष्य के विरूद्ध अकेले कोरबा जिले की खदान से ही 120 मिलियन टन उत्पादन हो रहा है। इसके बाद भी सुविधाओं के नाम पर कोल इंडिया व एसईसीएल का रवैय्या भू-विस्थापितों एवं क्षेत्रवासियों के प्रति कुछ अच्छा नहीं है। यहां तक कि एसईसीएल के अधिकारी जनप्रतिनिधियों से कोई तालमेल बनाकर काम नहीं करते। सांसद ने इस बात पर खेद जताया कि कोयला मंत्री उनके संसदीय क्षेत्र कोरबा आए लेकिन इसकी कोई सूचना मुझे नहीं दी गई अन्यथा मुलाकात कर समस्याओं से जरूरत अवगत करातीं।
सांसद ने दोहराया कि खदानों के अनेक भू-विस्थापितों को नौकरी, मुआवजा, पुनर्वास का पिछले 20 सालों से निराकरण लंबित है। खदान क्षेत्र और आसपास के सड़कों की हालत काफी दयनीय है। खदान क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। बांकीमोंगरा में बड़ा अस्पताल होने के बावजूद डॉक्टर, नर्स का नहीं होना, सिटी स्कैन मशीन नहीं होना चिंता का विषय है। यह अस्पताल राज्य सरकार को देने का सुझाव रखा। सांसद ने कहा कि उन्होंने कई बार सुपरस्पेशिलिटी हास्पिटल कोरबा व कोरिया के लिए मांगा किंतु कोई कदम नहीं उठाया गया। लगभग 10 हजार खदान कर्मियों के लिए व्यवस्थित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं है। सामुदायिक विकास के तहत होने वाले पानी, साफ-सफाई जैसे मूलभूत कार्यों में भी घोर लापरवाही एसईसीएल के अधिकारी बरत रहे हैं। कोरबा व कोरिया में माइनिंग कॉलेज की नितांत आवश्यकता है। इसके लिए झगरहा के कॉलेज में माइनिंग ब्रांच खोली जा सकती है। इसी तरह कोरबा व कोरिया जिले में स्कील्ड कॉलेज भी प्रारंभ करने की आवश्यकता है ताकि कुशल कामगार मिल सकें।
15 साल की तुलना ढाई साल से कैसे-
बैठक में सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत के द्वारा भू-विस्थापितों की लंबित समस्याओं और मांगों का प्राथमिकता से निराकरण करने पर जोर दिया गया तो वहीं केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने राज्य सरकार के ऊपर सारी बात डाल दी। सांसद ने उन्हें स्पष्ट किया कि 15 साल तक तो छत्तीसगढ़ में भाजपा की ही सरकार थी। 15 साल बाद बनी कांग्रेस की सरकार को अभी ढाई साल ही बीते हंै जिसका आधे से ज्यादा समय कोरोना काल में बीत गया। बाकी बचे समय में प्रभावित भू-विस्थापितों के विकास के लिए राजनीति से ऊपर उठकर छत्तीसगढ़ सरकार ने काम किया है।
समन्वय बनाने का भरोसा दिया कोयला मंत्री ने-
सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत ने बैठक में इस बात पर भी गहरा खेद व्यक्त किया कि एसईसीएल के सीएमडी और सीजीएम स्तर के अधिकारियों का जनप्रतिनिधियों से कोई समन्वय नहीं है। क्षेत्रीय विकास के सुझावों एवं विकास कार्यों से संबंधी मांगों पर प्राथमिकता नहीं दी जाती और न ही कोई तवज्जो मिलती है। इस पर कोयला मंत्री ने पूर्ण समन्वय स्थापित करने का भरोसा दिलाया।