आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर- घर सर्वे के लिए विशेष निर्देश

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर- घर सर्वे के लिए विशेष निर्देश
भारती एयरटेल जल्द ही विदेशी दूरसंचार कंपनी बन जाएगी। केंद्र सरकार ने टेलीकॉम कंपनी को 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) करने की मंजूरी दे दी है। इससे पहले कंपनी में 49 फीसदी हिस्सेदारी विदेशी कंपनियों के पास थी। एयरटेल ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को रिटर्न फाइलिंग में इस बात की जानकारी दी है। भारती एयरटेल को रिजर्व बैंक से भी कंपनी में विदेशी निवेशकों को 74 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रखने की अनुमति है।
शेयर बाजार को दी गयी सूचना के अनुसार, ‘‘भारती एयरटेल लिमिटेड को दूरसंचार विभाग से 20 जनवरी 2020 को विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर कंपनी की चुकता पूंजी के 100 प्रतिशत तक करने की मंजूरी मिल गयी है।’’ कुछ दिन पहले ही कंपनी ने वैधनिक बकाये के रूप में करीब 35,586 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इसमें 21,682 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क और 13,904.01 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम बकाया है। इसमें टेलीनॉर और टाटा टेली के बकाये शामिल नहीं हैं।
मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों वोडाफोन-आइडिया और भारती-एयरटेल ने अपने पर बकाया करीब 92 हजार करोड़ रुपये समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का भुगतान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मोहलत मांगी है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कंपनियों ने बताया कि भुगतान का समय तय करने को लेकर उनकी सरकार से वार्ता जारी है। इस पर कोर्ट ने एक हफ्ते बाद सुनवाई का आदेश दिया है। इन कंपनियों पर एजीआर और ब्याज को मिलाकर बकाया रकम बढ़कर करीब 1.47 लाख करोड़ रुपये हो चुकी है। पिछले वर्ष 24 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों को तीन महीने के भीतर एजीआर की रकम जमा करने का आदेश दिया था। वहीं बीती 16 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था। मौजूदा याचिका में कंपनियों की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी, एनके कौल और सीए सुंदरम ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष 24 अक्तूबर के आदेश में बदलाव करने की गुहार लगाई है। साथ्थही जल्द सुनवाई की मांग की है।