शिक्षकगणों का सम्मान हम सबकी सामाजिक जिम्मेदारी

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नई दिल्ली
मूल रूप से बिहार के रहने वाले और नोएडा में नौकरी करने वाले रमेश कुमार को बीते 31 मार्च को सुबह-सुबह बैंक (Commercial Bank) से एक कॉल आया। उनका खाता निजी क्षेत्र के एक अग्रणी बैंक (Private Bank) में है। बैंक के जिस एग्जीक्यूटिव ने उनका बैंक खाता खोला था, कॉल उन्हीं का था। एग्जीक्यूटिव का कहना था की सिर्फ 1 दिन के लिए वह जितना अधिक हो सके, रुपये अपने बैंक खाते में जमा करा दें। चाहे तो वह चाहे तो 1 अप्रैल या 2 अप्रैल को ही अपने अकाउंट से सारा पैसा निकाल लें।

इसी तरह, गाजियाबाद में रहने वाले राघव का अकाउंट एक सरकारी बैंक में है। उस बैंक के मैनेजर से राघव की अच्छी दोस्ती है। उस मैनेजर ने भी राघव से यही अनुरोध किया था। आपको पता है ऐसा क्यों होता है? हम बताते हैं कि 31 मार्च को बैंकों की तरफ से इस तरह का अनुरोध क्यों आता है।

टारगेट अचीव करने का है चक्कर
बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि यह सब टारगेट अचीव करने का चक्कर है। हर बैंक का ही नहीं बल्कि बैंक की हर शाखा का एडवांस (Advance) और डिपॉजिट (Deposit) का एक टारगेट होता है। यह टारगेट साल के अंतिम दिन (March Closing) तक पूरा करना ही होता है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो फिर उस बैंक की शाखा का परफॉर्मेंस खराब माना जाएगा। यदि बैंक की शाखा का परफॉर्मेंस खराब हुआ तो फिर उस शाखा के मैनेजर का परफॉर्मेंस भी खराब माना जाएगा। ऐसा बैंकिंग करिअर के लिए खराब माना जाता है, क्योंकि परफॉर्मेंस पर ही भविष्य की तरक्की निर्भर करती है। सामान्य शब्दों में ऐसा मानें कि सिर्फ परफॉर्मेंस खराब नहीं हो, इसीलिए इतनी कवायद की जाती है।

एक दिन के लिए ओवरड्राफ्ट भी ले लेते हैं
एक सरकारी बैंक के ब्रांच मैनेजर का कहना है कि साल के अंतिम दिन मतलब 31 मार्च को तो वह ओवरड्राफ्ट लेकर भी चार-पांच लाख रुपये अपने सेविंग अकाउंट में डाल देते हैं। इसके बाद 1 अप्रैल को फिर वह पैसा वापस कर देते हैं। इससे उन्हें भले ही एक दिन का ब्याज भरना पड़ता है, लेकिन इससे एक साथ दो टारगेट पूरा हो जाता है। पहला टारगेट डिपॉजिट का और दूसरा टारगेट एडवांस का।

ग्राहकों से भी किया जाता है अनुरोध
बैंक अधिकारियों का कहना है की जिन ग्राहकों से बेहतर संबंध होता है, उनसे भी अनुरोध किया जाता है। उनसे कहा जाता है कि वित्त वर्ष समाप्त होने के अंतिम दिन कुछ राशि जमा अपने बैंक खाते में जमा कर दें। फिर एक-दो दिन बाद निकाल लें। उनका कहना है कि 8-10 ग्राहकों से इस तरह का अनुरोध किया जाए तो 5-6 ग्राहक तो कुछ ना कुछ रकम जमा करा ही देते हैं। इससे उन्हें टारगेट अचीव करने में आसानी होती है।