अंजोरा के गौठान में गाय की हुई मौत जिम्मेदार कौन ?

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दक्षिणापथ. पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों के बीच भाजपा ने विपक्ष शासित राज्यों को घेरने के लिए राहत की राजनीति शुरू की है। पेट्रोल डीजल की दरों में उत्पाद शुल्क की कटौती के बाद अब भाजपा शासित राज्यों में वैट कम कराकर विपक्ष की सरकारों पर कीमतें घटाने का दबाव बनाया जा रहा है। बुधवार को उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद से शुक्रवार तक राजग शासित 23 राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर क्रमश: 8 व 9 रुपये तक वैट घटाया है। वहीं कांग्रेस व विपक्ष के अन्य दलों की सत्ता वाले 13 राज्यों ने अब तक वैट घटाने पर कोई फैसला नहीं किया है।

भाजपा की रणनीति पेट्रो पदार्थों की महंगाई के मामले में राज्यों को भी बराबर का जिम्मेदार ठहराने की है। इसी हफ्ते 13 राज्यों की लोकसभा की तीन और विधानसभा की 29 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे के बाद भाजपा और केंद्र सरकार हरकत में आई। खासतौर से पेट्रोल-डीजल की कीमतों से बढ़ी नाराजगी की रिपोर्ट के मद्देनजर अचानक तीन साल बाद इस पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती की।

इसके साथ ही पार्टी ने इस मुद्दे पर विपक्ष को घेरने के लिए स्वशासित राज्यों को पेट्रो पदार्थों पर लगने वाले वैट में कमी लाने का निर्देश दिया। इस निर्देश के बाद दिवाली के दिन मध्यप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, त्रिपुरा, गोवा, बिहार, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम ने वैट में कटौती की। वहीं मेघालय ने शुक्रवार को वैट में कटौती की।

चुनावी राज्यों में वैट में हो सकती है और कटौती
अगले साल जिन पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में चुनाव है उसमें तीन राज्यों में भाजपा की अपनी तो मणिपुर में राजग की सरकार है। इन राज्यों में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा सूत्रों ने बताया कि अगर जरूरत पड़ी तो चुनाव से पहले पार्टी शासित चुनावी राज्यों में वैट में और कमी लाई जा सकती है। फिलहाल पार्टी की निगाहें विपक्ष को घेरने पर है। इस क्रम में वैट में कटौती होने तक भाजपा लगातार इन राज्यों की सरकारों पर हमलावर रहेगी। पार्टी की रणनीति पेट्रोल-डीजल की मूल्य में बढ़ोतरी पर विपक्ष को भी जिम्मेदार ठहराने की है।

राहत देना राज्यों की भी जिम्मेदारी
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा, राहत देने के मामले में केंद्र के साथ राज्यों की भी जिम्मेदारी है। उत्पाद शुल्क घटा कर केंद्र सरकार ने तो राजग शासित राज्यों ने वैट में कटौती कर राहत देने की अपनी जिम्मेदारी निभाई है। अब बारी गैर राजग शासित राज्यों की है। इन्हें भी जनता को राहत देने के लिए वैट में कटौती करनी चाहिए।

यूपी समेत इन राज्यों ने दी राहत
वैट में कटौती करने वाले राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में कर्नाटक, पुडुचेरी, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम, मध्य प्रदेश, बिहार, गोवा, गुजरात, दादरा नगर हवेली, दमन दीव, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, लद्दाख और मेघालय शामिल हैं।

खुद को गरीबों का हितैषी बताने वाले राज्यों ने नहीं घटाया वैट
विपक्ष के जो राज्य खुद को गरीबों का हितैषी बताते रहे उन्होंने अब तक पेट्रोल डीजल पर वैट नहीं घटाया है। इनमें कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों के शासन वाले राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु ने अब तक वैट नहीं घटाया है। इसके अलावा आप शासित दिल्ली, टीएमसी के पश्चिम बंगाल और वाम दल के केरल, बीजद के ओडिशा, टीआरएस के तेलंगाना और वाईएसआर कांग्रेस शासित आंध्र प्रदेश ने भी वैट में कोई कटौती नहीं की है। केरल में वाम मोर्चे की सरकार ने तो दो टूक कह दिया है कि वह पहले ही कम वैट वसूलती है इसलिए और कम करने का सवाल ही नहीं उठता।

कटौती के बाद 19 राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 से नीचे आई
उत्पाद शुल्क और वैट में कटौती के बाद देश के 19 राज्यों में पेट्रोल की कीमत सौ रुपये प्रति लीटर से नीचे आ गई है। हालांकि, कर्नाटक, बिहार, मध्यप्रदेश और लद्दाख में अब भी कीमतें सौ रुपये से ऊपर हैं। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पेट्रोल की कीमत शुक्रवार को प्रति लीटर 100.58 रुपये थी। वहीं, पटना में कीमत 105.90 रुपये, भोपाल में 107.23 रुपये और लद्दाख में 102.99 रुपये प्रति लीटर रही।