भूपेश को अपना मान रहे राजनांदगांव क्षेत्र के लोग,सकते में भाजपा...!

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दक्षिणापथ। राजनांदगांव लोकसभा सीट के कांग्रेस प्रत्याशी एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोशल इंजीनियरिंग के दम पर अपनी स्थिति दिन प्रतिदिन मजबूत बनाते गए हैं। अपने प्रतिद्वंदी प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के संतोष पांडे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। सामाजिक सियासी समरसता के माहिर खिलाड़ी भूपेश बघेल जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में विकास कार्यों की झड़ी लगाई थी। खैरागढ़ एवं मानपुर मोहला जिले का निर्माण किया। पूरे प्रदेश के किसानों को धान का 31 सौ रुपए क्विंटल यदि मिला तो उसके पीछे भूपेश बघेल ही कारण है ।
राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र पिछड़ी जाति बहुल क्षेत्र है।  लोधी व साहू  समाज के लोगों की बहुलता है। उसके अलावा अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग भी हैं। स्वर्ण समाज के मतदाताओं की संख्या निर्णायक नहीं है। सवर्ण समाज के संतोष पांडे पिछले 5 साल तक सांसद रहे और लोगों से मिलना जुलना ज्यादा नहीं किया। लिहाजा क्षेत्र में एंटी इनकांबेंसिंग फैक्टर का प्रभाव भूपेश को फायदा पहुंचा रहा है । वैसे भी पिछले पांच साल तक मुख्यमंत्री होने के नाते भूपेश बघेल का नाम एक एक मतदाताओं के जुबान पर बस गया था।
 कहना गलत नहीं होगा कि राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में जितना नाम भूपेश बघेल का है, उसके  सामने संतोष पांडे की लोकप्रियता फीकी है। 

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद हो रहे इस पांचवे लोकसभा चुनाव में देश भर के 102 सीटों में मतदान हो चुका है। इन 102 सीटों में मतदान के बाद आ रहे फीडबैक ने भाजपा की घबराहट बढ़ा दी है । इंडिया गठबंधन कई कारणों से एनडीए के सामने कड़ी चुनौती प्रस्तुत कर रही है । इसका असर छत्तीसगढ़ के शेष बचे 10 लोकसभा क्षेत्र पर भी पड़ना  लाजिमी है।
 इधर भाजपा नेताओं की बयानबाजी शुरू हो गई है कि आम मतदाता उनके साथ हैं। फिर भी नए फीड बैक के बाद परेशान भाजपा संघ के शरण में जा पहुंचा है। स्वयं पीएम नरेद्र मोदी नागपुर में रात गुजार चुके हैं और आज रात छत्तीसगढ़ में गुजारने मजबूर है। छत्तीसगढ़ में भी संघ की मजबूत क़ाडर है। क्योंकि संघ मुख्यालय नागपुर छत्तीसगढ़ की सीमा से महज डेढ़ सौ किलोमीटर दूर है। छत्तीसगढ़ में भाजपा को मजबूत आधार संघ ने ही दिया है। विगत विधानसभा चुनाव में भूपेश की सरकार जाने के पीछे संघ का बड़ा हाथ रहा। किंतु सत्ता मिलनें के साथ भाजपा ने उसी संघ को कमतर आंकने का प्रयास किया। संघ की नाराजगी अब भाजपा को भारी पड़ने लगी है। अतएव, बुद्ध शरणम्म गच्छामि की तरह भाजपा संघम शरनम  गच्छामि हो चुकी है। 
इधर, कांग्रेस भी आक्रामक रवैया अख्तियार कर चुकी है।
मध्य भारत में भूपेश बघेल कांग्रेस के सबसे बड़े मास लीडर बन चुके है। तेलंगाना के सीएम एवंत रेड्डी इन्ही भूपेश बघेल को अपना गुरु मानते है। बताते हैं कि नांदगांव लोकसभा क्षेत्र में एवंत रेड्डी ने अपना भरोसेमंद टीम भूपेश की मदद के लिए उतार दिया है। पिछड़ा वर्ग से वास्ता रखने वाले सीएम रेड्डी कम से कम 15 हजार वोट नांदगांव में प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। 

 मालूम हो, इस बार पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में 220 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 1996 के चुनाव में इससे ज्यादा 290 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। राजनांदगांव लोकसभा में 26 अप्रैल को मतदान होना है।
कल शाम पांच बजे खुला प्रचार प्रसार थम जाएगा।  यहां 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है।
उल्लेख करना लाजिमी होगा कि एक समय दो हजार के दशक में राजनांदगांव जिला माओवाद से प्रभावित जिले की श्रेणी में शामिल हो चुका था। राजनांदगांव जिले में ही पुलिस अधीक्षक स्वर्गीय चौबे को माओवादियों ने जान से मार दिया था । महाराष्ट्र के गढ़चिरौली, चंद्रपुर से   राजनांदगांव, कवर्धा, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी  लाल गलियारा बन चुका था। सुरक्षा बलो ने बड़ी कुरबानिया देकर इस क्षेत्र को लाल आतंक से छुटकारा दिलाया था। 
आज राजनांदगांव जिला नक्सली आतंक से मुक्त है। पिछले 5 सालों के अपने कार्यकाल में राजनांदगांव जिला भूपेश बघेल की सरकार में शांत रहा  माओवादी सोच को खत्म करने में भूपेश बघेल ने भी बड़ी भूमिका निभाई।
यह सच है, छत्तीसगढ़ में भूपेश की सरकार बदलने के साथ नक्सली हमले में तेजी आई। साय सरकार ने अब तक  90 नक्सलियों को मार गिराया है । ढाई सौ नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। 130 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया । 
भाजपा प्रत्याशी एवम संसद संतोष पांडे भले ही भूपेश बघेल पर महादेव सट्टेबाजी एवं घोटाले मे संलिप्तता का आरोप लगा रहे हो, किंतु जनता उसे ज्यादा तुल नहीं दे रही । क्योंकि महादेव सट्टा एप क्या बला है, जनता को समझ नहीं आता । यूं कह सकते हैं कि भूपेश के खिलाफ विरोधियों के पास कारगर शस्त्र नहीं है । जबकि ठेठ छत्तीसगढ़ी अंदाज में भाषण देकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लोगों को स्वयं से बांध रहे हैं, आम लोग उनके शैली से प्रभावित हो रहे हैं। उन्हें अपना मान रहे हैं और उन्हें समर्थन देने की मानसिकता भी बना रहे हैं। बता दे कि पिछड़ा समाज को भूपेश बघेल ने अपनी रणनीतियों से साध लिया है। इस क्षेत्र में 60% मतदाता ओबीसी हैं। भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में इस वर्ग के सबसे बड़े नेता हैं। साहू समाज के मतदाता भूपेश को अपना समझ रहे हैं। 
अभी राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के 8 विधानसभा सीटों में पांच पर कांग्रेस के विधायक हैं। सिर्फ तीन सीटे बीजेपी के पास है। पूर्व सांसद स्व .देवव्रत का राजपरिवार एवं उनके शुभचिंतक भूपेश के साथ हैं। 
हालांकि देवव्रत की एक पत्नी अभी भाजपा के पाले में है और भूपेश विरोधी बयान भी दे रही हैं।  क्षेत्र के सियासी जानकार कहते हैं कि वह सुनियोजित पद्धति पर है। उनसे जानबूझकर भूपेश के खिलाफ बोलवाया जा रहा है। वोट पर इससे खास फ़र्क नही पड़ने वाला। गणतंत्र के 75 साल में बहुत कुछ बदल चुका है। राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र उस महाराष्ट के बार्डर से लगा हुआ है, जहां की जनता अपने स्वाभिमान, हित और गरिमा के लिए जागरूक है। इस सीट पर स्व मोतीलाल वोरा व रमन सिंह जैसे नेता  इस महत्वपूर्ण सीट से चुनाव जीत चुके है। यहां के नतीजे पूरे राज्य पर असर डालते है।