छत्तीसगढ़ में बिजली की राजनीति!

छत्तीसगढ़ में बिजली की राजनीति!

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने हॉफ बिजली बिल के मुद्दे पर राज्य सरकार के खिलाफ ब्लाक स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया। 
प्रदेश के सभी 146 ब्लाकों में कांग्रेस ने लगातार विरोध प्रदर्शन की रणनीति बनाई है। कांग्रेस नेता भूपेश बघेल खुद आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं।
जानकार कहते हैं कि हाफ बिजली बिल जैसी योजनाओं के चलते इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी नही आता। इंफ्रास्टक्टर के लिए सरकार को पैसा चाहिए। वोट के लिए खैरात बांटने वाली सरकारें इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पैसा कहां बचा पाएंगे। 
चीन ने जबरदस्त इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ी कर दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश को सिर्फ संभाला नही, बल्कि सुपर पॉवर में कन्वर्ट कर दिया। 
बिजली जन जन की जरूरत है। इसलिए छत्तीसगढ़ राज्य में बिजली की स्थिति पर समीक्षा किया जा सकता है।  बिजली का उपयोग कई गुणा बढ़ा है। फिर भी बिजली सरप्लस वाले राज्य में बिजली कटौती की खबर बड़ी विडंबना है। मतलब साफ है, राज्य को हक दिला पाने में नेता सफल नहीं हुए। 
अविभाजित मध्यप्रदेश के जमाने में दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे, तो छत्तीसगढ़ में चार चार घंटे बिजली कटौती होता था। रोज सुबह 8 बजे बिजली बंद हो जाती थी, और 12 बजे आती थी। गर्मी के दिनों में भी यह चला था। कटौती की इस बिजली का उपयोग तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मालवा के किसानों को सिंचाई के लिए देने में कर रहे थे। दो सालो तक यह सिलसिला चला। बाद में कटौती दो घंटे कर दिया गया। छः महिनें तक जनता ने यह भी झेला। 
राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने चतुराई दिखाते हुए सबसे पहला काम यही कराया , कि मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से छत्तीसगढ़ को मुक्त करा दिया। 

 छत्तीसगढ़ की कमोबेश सभी सरकारो ने बिजली के उत्पादन को बढ़ाया। नई ऊर्जा संसाधनों का विकास किया। राष्ट्रीय बिजली नीति के अनुसार ऊर्जा उत्पादन और वितरण में सुधार किया। नई ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को आम लोगों तक पहुंचाया भी। छत्तीसगढ़ के शत प्रतिशत गांव तक बिजली पहुंच चुकीं है। सरकार की प्राथमिकता यह होनी चाहिए, कि पैसे न होने के कारण कोई गरीब बिजली से महरूम न हो। 
हर किसी को बिजली बिल में सब्सिडी देने की पीछे "वोट बैंक” की मंशा सबको समझ आती है। हॉफ बिजली बिल जैसी योजनाओं के बावजूद जनता ने सरकार को बदल दिया। 
रमन सिंह के सरकार में सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत से काम शुरू हुए। 
आज सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) का सबसे बड़ा प्लांट छत्तीसगढ़ में स्थित है। 
 दरअसल भारत सरकार का आला नेतृत्व जानता है कि मुफ्त की रेवड़ी बांटकर भारत 2047 तक विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल नहीं हो सकता। 
 पिछले भूपेश सरकार ने बेरोजगारी भत्ता योजना लागू किया था। इसके तहत पात्र बेरोजगारों को ढाई हजार रुपए महीना देना था।
आपको याद होगा, साय सरकार सत्ता में आई तब उन्होंने भूपेश सरकार के योजनाओं की समीक्षा किया। जिसमें कई योजनाओं को बंद किया, मगर हाफ बिजली बिल और महंगाई भत्ता को चालू रखने का निर्णय लिया था। हालांकि बेरोजगारी भत्ता  एक-दो महीने तक चालू भी रखा गया, मगर यह राशि अब बेरोजगारों को नहीं मिल रही है। आखरी बार यह राशि मिले कई महीना हो गए। सरकार ने भले ही अधिकृत घोषणा नहीं की हो, मगर साय सरकार अपनी ओर से इसे बंद कर चुकी है।
लोग पूछते हैं, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने कार्यकाल में ये सब कहां से मैनेज करते थे।
  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल पर कहा है कि भारत अब नए बड़े बदलाव देखेगा। जाहिर है बड़े बदलाव ढीली-ढाली व्यवस्था से नहीं आने वाली है।
इस बात का जिक्र करते चले, कि दुनिया के अधिकांश विकसित देश शिक्षा, स्वास्थ्य और भोजन कम कीमत में देती है , पर बिजली का पूरा शुल्क वसूलती है। वहां के लोग बिजली बिल पूरा भरते हैं। बिजली बिल के मामले में वहां के लोग सरकार से कोई रियायत नहीं चाहते। क्योंकि शिक्षा और स्वास्थ्य में सरकार अच्छी रियायत देती है। जबकि हमारे देश में स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्र महंगे बन गए है।