दुर्ग लोकसभा से कांग्रेस ने युवा चेहरा राजेन्द्र साहू पर लगाया दांव, सांसद विजय बघेल को भाजपा पहले ही घोषित कर चुकी है प्रत्याशी

दुर्ग लोकसभा से कांग्रेस ने युवा चेहरा राजेन्द्र साहू पर लगाया दांव, सांसद विजय बघेल को भाजपा पहले ही घोषित कर चुकी है प्रत्याशी
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-चुनाव में जाति समीकरण होगा निर्णायक
दुर्ग । कांग्रेस ने आखिरकर लोकसभा चुनाव के लिए टिकट की घोषणा कर दी है। जैसे कयास लगाए जा रहे थे, वैसे ही टिकट का बटवारा किए गए है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और पाटन विधायक भूपेश बघेल को राजनांदगांव से प्रत्याशी बनाया गया है, लेकिन दो नामों ने बेहद चौका दिया है। दुर्ग से सांसद रहे छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया है, वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री युवा नेता राजेंद्र साहू को दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा के दिग्गज  नेता एवं छत्तीसगढ़ शासन के शिक्षामंत्री बृजमोहन अग्रवाल के सामने कांग्रेस के युवा नेता विकास उपाध्याय को  चुनावी मैदान में उतारा गया है। कोरबा में पूर्व राज्यसभा सदस्य और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री सरोज पाण्डेय और कांग्रेस सांसद ज्योत्सना महंत के बीच मुकाबला होगा। दुर्ग लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो अब  यहां प्रत्याशियों की स्थिति स्पष्ट हो गई है। भाजपा ने यहां से सांसद रहे विजय बघेल पर दूसरी बार भरोसा जताया है। जबकि कांग्रेस ने युवा नेता राजेंद्र साहू को मैदान में उतारा है। श्री साहू छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी समर्थकों में से एक है। दुर्ग लोकसभा के चुनाव में जाति समीकरण हमेशा निर्णायक रहा है। विजय बघेल कूर्मि और राजेन्द्र साहू वर्ग से आते है। क्षेत्र में 20 फीसदी साहू और 15 फीसदी कूर्मि मतदाता है। दोनो दलों के प्रत्याशी व नेताओं का इस चुनाव में इस पर विशेष फोकस होगा। भाजपा-कांग्रेस द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा के बाद राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। चौक-चौराहों पर प्रत्याशियों को लेकर आंकलन भी शुरु हो गया है। विजय बघेल को भाजपा द्वारा दोबारा उम्मीदवार बनाए जाने से पार्टी में अंतर्कलह की बातें सामने आने लगी हैं। इसके अलावा उनका कोई बड़ा काम लोगों को लोकसभा क्षेत्र में नजर नहीं आ रहा है। लोग पहले से नाखुश थे। इस सीट पर कांग्रेस के युवा चेहरे राजेंद्र साहू को प्रत्याशी बनाए जाने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भाजपा से विजय बघेल इस समय सांसद हैं। वे पिछली चुनाव में 3,91,978 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव जीते थे। उन्होंने कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर को चुनाव हराया था। मोदी लहर में उनकी भी चल निकली थी। इस बार ऐसा माहौल बनते नजर नहीं आ रहा है। विजय बघेल को लेकर कार्यकर्ताओं में जहां पहले की तरह उत्साह नहीं है। वहीं आम जनता के बीच भी बघेल अपनी छवि बनाने में कमजोर साबित हुए हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें चुनाव घोषणा समिति का संयोजक बनाया था। विस चुनाव के जीत में श्री बघेल का अहम रोल रहा, लेकिन योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं होने से लोगों में नाराजगी बढ़ रही है। महतारी वंदन योजना को लेकर महिलाएं लगातार दफ्तरों के चक्कर काट रहीं हैं। जिन महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा, वे सीधे भाजपा के खिलाफ खड़ी हो गईं हैं। उनका मानना है कि ये कैसा मापदंड है, जिसमे कुछ महिलाओं को आर्थिक मदद दी जा रही, कुछ को छोड़ दिया जा रहा है। सांसद बघेल की पिछले पांच सालों में लोकसभा क्षेत्र में कोई बड़ी उपलब्धि भी देखने को नहीं मिली है। कोई भी बड़े प्रोजेक्ट प्रभावी ढंग से दुर्ग में न शुरू हो पाए, न ही पुराने प्रोजेक्ट पर काम हो पाया। नेहरूनगर से कुम्हारी तक बनाए जा रहे चार फ्लाईओवर की लेटलतीफी किसी से छिपी नहीं है। घड़ी चौक सुपेला और कुम्हारी में बना फ्लाईओवर शुरू किया गया है, दोनों का निर्माण इतना घटिया रहा कि तीन महीने में ही सड़क उखड़ने लगी। भारतमाला परियोजना पिछले 5 सालों से लटकी हुई है। किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। वे लगातार प्रशासनिक महकमें के चक्कर काट रहे हैं। अब जाकर इसका काम शुरू हो पाया है।  रेलवे से जुड़ी किसी भी सुविधा का विस्तार नहीं हो पाया। स्थिति जस के तस बनी हुई है, बल्कि ज्यादा खराब हो चुकी है। ऐसे में बघेल का जनाधार पहले की तरह नहीं रहा है। इधर विधानसभा चुनाव में 6 में से 4 सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की है। इसमें भी प्राय: नए चेहरे ही चुनाव जीतकर आए हैं। बता दें कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बाद भी दुर्ग सीट से भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था। कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने यह चुनाव जीत लिया था।
 वे छत्तीसगढ़ से एक मात्र कांग्रेसी सांसद थे। 11 में से 10 सीटें भाजपा ने जीती, सिर्फ दुर्ग से कांग्रेस दिल्ली तक पहुंच पाई थी। इधर कांग्रेस ने युवा चेहरा राजेन्द्र साहू को दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेला है। जिसके कई राजनीतिक मायने भी है। कांग्रेस में दुर्ग से लोकसभा चुनाव के लिए दिग्गज नेताओं की फौज है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, पूर्व विधायक अरुण वोरा, प्रदीप चौबे, प्रतिमा चंद्राकर, बीडी कुरैशी जैसे कांग्रेस नेता हैं। इन सब के बीच पार्टी ने राजेंद्र साहू को टिकट दी है। इन सबके बीच राजेंद्र साहू एक ऐसा नाम है, जिनका व्यापक जनाधार है। उनकी स्वच्छ और मृदुभाषी छवि उन्हें लोगों का मुरीद बना रही है। राजेंद्र साहू पहले महापौर और विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। वे जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक दुर्ग के अध्यक्ष भी रह चुके है।
वर्तमान में वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री पद का दायित्व बखूबी संभाल रहे है। श्री साहू को चुनाव संचालन का भी बड़ा अनुभव है। उनके सक्रियता से पूरे लोकसभा क्षेत्र में उनके समर्थकों की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्तमान में उनका जनाधार भाजपा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। दुर्ग लोकसभा क्षेत्र साहू समाज बाहुल्य क्षेत्र है। जो श्री साहू के पक्ष को मजबूत बनाते नजर आ रही है।