दलालों का बढ़ा नेटवर्क, सभी तरह के फर्जी कार्य करवाने में है माहिर

दलालों का बढ़ा नेटवर्क, सभी तरह के फर्जी कार्य करवाने में है माहिर
RO No.12784/129

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-चुंगल में फंसे भू-स्वामी परेशान, दलालों पर प्रशासन की मेहरबानी क्यों?
दुर्ग। जमीन संबंधी विवादों के निपटारे के लिए अदालत पहुंचने वाले लोगों को अपने झांसे में फंसाने के लिए दलालों का बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। तहसीली, कलेक्ट्रेट और भू रजिस्ट्रार कार्यालय के इर्दगिर्द इनका जमावड़ा रहता है। ये लोग जमीन संबंधी सभी विवादों का निपटारा करा देने का दावा करते है, जबकि इनके पास न कोई डिग्री होती है और न पात्रता। किसी पात्र वकील की तरह ही सलाह मशविरा देकर गांव व शहरों के भू-पीड़ितों को अपने जाल में फंसाते है, फिर उन्हे जमीन माफियाओं के चक्कर में उलझा देते हैं। लूट खसोट के इस खेल में उन्हें सरकारी तंत्र के कुछ लोगों का संरक्षण मिलने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। ये दलालनुमा तत्व भू माफियाओं को शिकार मुहैया कराते है, तो दूसरी ओर आमजनो की परेशानी बढ़ा भी देते है। इन दलालों के दुश्चक्र से मुक्ति के लिए उन पर अब नकेल कसना जरूरी हो गया है।  वैसे भी दुर्ग-भिलाई में जमीन दलाल और भू माफिया द्वारा सरकारी तंत्र के साथ मिलीभगत कर खाली जमीनों पर बंदरबाट करने की बात नई नहीं है। रजिस्ट्री ऑफिस, तहसीली व कलेक्ट्रेट में हर समय दलालों का जमावड़ा लगा रहता है। सूरत ए हाल देख कर यूं लगता है कि इन दलालों के सहयोग से जमीन दलाल और माफिया मिलकर धीरे धीरे शहर की सभी खाली पड़ी जमीनों को निगल जाएंगे और आम शहरी मुंह ताकता रह जाएगा। भूूमि के इस अवैध व्यवसाय में सीमांकन, परिसीमन तथा बाटांकन के नियमों की खुल कर धज्जियां उड़ाई जा रही है। खसरा नंबर में हेरफेर कर रिकॉर्ड को बदलने में भी गुरेज नहीं किया जा रहा है। दुर्ग में आलम यह है कि दलालों के बिना आम आदमी अपना एक इंच जमीन भी खरीदी-बिक्री नही कर सकता है। सरकारी तंत्र ही दलाली प्रथा को बढ़ावा देते नजर आता है। ये सक्रिय दलाल वकील से जुड़े सारे कार्य खुद करते है, जबकि उनके पास इसके लिए जरूरी योग्यता भी नही होती है। इतना बड़ा फ्राड हो रहा है। ऐसा भी नहीं है कि इन सारे कृत्यो से प्रशासन बेखबर हो,फिर इस मामले में अनदेखी क्यों की जा रही है,यह बड़ा सवाल है। दलालों के कारनामे ऐसे है कि वे कागजों में जमीनों की उपयोगिता ही नही बल्कि मालिक के नाम भी बदल देते है। ऐसे कृत्य से दलाल एक ओर लाखो करोड़ो रुपए मुनाफा कमाते हैं, तो दूसरी ओर जिंदगी भर पाई-पाई जोड़ कर जमीन खरीदने वाले आम आदमी खुलेआम ठगी का शिकार हो रहे है और उसकी कोई सुनवाई भी नही हो रही। ये दलाल दुर्ग-भिलाई के अलावा रिसाली क्षेत्र में सक्रिय है। भिलाई में खासकर बाबा दीपसिंह नगर, जूनवानी,फरीदनगर के भूस्वामी इनके कृत्यों से पीड़ित और परेशान है। ऐेसे दलालों पर कार्यवाही नहीं होने से उनके हौसले बुलंद है। जिनके खिलाफ पीड़ित भूस्वामी कार्यवाही की आस लगाए हुए बैठे है। मालूम हो जब से राज्य बना है, दुर्ग सहित पूरा राज्य भू-माफिया की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। यह एक बड़ी चिंता का विषय है, जिसके बावजूद जिम्मेदार लोग कोई ठोस कदम नहीं उठाते। जबकि अब जमाना ऑनलाइन का हो चुका है। तब भी जमीनों पर खेला बढ़ता ही जा रहा है। इस शहर में जमीनों के अवैध व्यापार से दलाल अकूत संपत्ति खड़ी कर चुके है। ऐसा लगता है उन्हें सरकारी तंत्र का संरक्षण है। तो फिर न्याय के गुहार आखिर कहां लगाई जाए। यह मामला न केवल जमीन के अवैध कब्जे का मामला है, बल्कि समाज के विकास और समृद्धि को भी बाधित कर रहा है। दलाल भू-माफिया द्वारा जमीनों पर अवैध कब्जे करने की प्रवृत्ति छत्तीसगढ़ के विकास को रोक रही है। इस प्रकार के अवैध कब्जे से प्रभावित होने वाले लोग अपने अधिकार से वंचित हो रहे हैं, जिससे उनका सामाजिक और आर्थिक विकास प्रतिबंधित हो रहा है। छत्तीसगढ़ में भू-माफिया का आक्रामक व्यापार न केवल जमीन संबंधित मामलों में है, बल्कि इसका सीधा असर समाज पर भी पड़ रहा है। अवैध कब्जों के चलते गरीब और वंचित व्यक्तियों की स्थिति और भी पीड़ादायक हो रही है। सरकार को जल्दी से जल्दी उचित कदम उठाने की आवश्यकता है,ताकि भू संबंधी कार्यों से जुड़े दलालो की गतिविधियों पर विराम लगाया जा सके। सख्त कानूनी कार्रवाई और न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से इस समस्या का समाधान निकालना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। छत्तीसगढ़ के सरकारी और निजी संगठनों को मिलकर कार्रवाई करने की आवश्यकता है,ताकि यह अवैध कब्जा विवाद समाज के लिए नासूर न बनें।