भोलेनाथ को 56 भोग की जरूरत नहीं मन कर्म सच्चे मन से एक लोटा जल चढ़ा दो-पंडित प्रदीप मिश्रा

भोलेनाथ को 56 भोग की जरूरत नहीं मन कर्म सच्चे मन से एक लोटा जल चढ़ा दो-पंडित प्रदीप मिश्रा
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रायपुर ।   अम्लेश्वर नगर में चल रहे शिव महापुराण के तीसरे दिवस कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा की शिव बिंदु है ज्योतिरबिंद के रूप में विराजमान है। इसी बिंदु में पूरा ब्रम्हांड समाया है जो श्रृष्टि की रक्षा करता है,पालन करता है संहार करता है। शिव पर केवल हृदय से समर्पण हो जाओ वह सब दे देंगे,भोलेनाथ को 56 भोग की जरूरत नहीं मन कर्म सच्चे मन से एक लोटा जल चढ़ा दो वे आपको छप्पन भोग खाने जैसे फल देगा, भक्तो के हृदय में भगवान भोले नाथ विराजते है।
मनुष्य का देह पाने के बाद भगवान को पहचान लिया तो वह शिव की उदारता है। कलयुग में किसी की रोटी बड़ी, छोटी हो सकती है, वाहन बड़े छोटे हो सकते है लोग अमीर गरीब हो सकते है।विचार अलग हो सकते है लेकिन भगवान शंभू का वात्सल्य सब के लिए समान है। कथा वाचक ने मां का उदाहरण देते हुए कहा की एक मां के चार पुत्र है वह मां सभी का लालन पालन एक समान करती है शिक्षा भी देती है पर उन चारों शिक्षा कितना ग्रहण करते है वह उनके विवेक पर निर्भर है।उसी तरह भोले नाथ भी अपनी करूणा उदारता सम्पूर्ण सृष्टि पर एक समान भाव से बहाते है।
पंडित मिश्रा ने कहा की किसी को कम मिला किसी को ज्यादा मिला तो वह हमारे पूर्व जन्म का कर्म फल है जिसमे महादेव का कोई दोष नहीं है दोष है तो हमारे कर्मों का आज जो कर्म करेंगे उसके अनुसार ही हमे फल मिलेगा।
उन्होंने पूर्ण समर्पण एवम अधूरा समर्पण को विस्तार से समझाते हुए कहा की अपने मेहनत से कमाई गई वस्तु भगवान भोले पर अर्पण करते हो तो वह पूर्ण समर्पण है। यदि पड़ोसी के घर तोड़े गए फुल, किसी के द्वारा लाया गया जल को आप चढ़ाते हो तो वह अधूरा समर्पण है। जिसका फल भोले नाथ नहीं देते। श्री मिश्रा ने कहा की शंकर जी ने यदि भाग्य में लिख दिया है तो जरूर मिलेगा भाग्य से ज्यादा भी नहीं मिलेगा।
जिसके भाग्य में लिखा था वही बना मुख्यमंत्री
उन्होंने दिसम्बर में संपन्न छत्तीसगढ़,राजस्थान,मध्यप्रदेश के चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा की कौन बनेगा मुखमंत्री की चर्चा चल रही लोग अनेक लोगो का नाम ले रहे थे लेकिन मुख्यमंत्री वही बना जिसके ललाट में भोले नाथ ने लिख दिया था। शिव महापुराण की कथा कराने वाले बहुत है लेकिन अम्लेश्वर में महा पुराण उसी ने कराई जिसके मस्तक में भगवान ने लिख दिया , कथा वाचक ने पशुपति नाथ व्रत के नियम पालन के भी तरीके बताए।
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बिलासपुर जिले के कोटा के ग्राम लारीवार के निवासी पूर्णिमा पति राम भरोसा का 21 साल बाद संतान होने का उल्लेख करते हुए कह की बच्चे दानी में खराबी थी पर सच्चे मन से पशु पति नाथ का पूजन किया तो आज उनके गोद में एक बालक खेल रहा है।
रायपुर के मालती संतोष सिन्हा के 2019 दो बच्चे काल कलवित हो गए डाक्टरों ने असंभव बताया था कथा स्थल में जगह नही मिलने पर सड़क में कथा सुनकर कथा स्थल की मिट्टी पेट में लगाई तो फिर से भगवान की कृपा से मां बन पाई।