दुर्ग,(मोरज देशमुख)।दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र की कई सहकारी समितियों में एक गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार जिन किसानों की मृत्यु हो चुकी है, उनके नाम पर भी धान की खरीदी और बिक्री जारी है। यह स्थिति शासन के स्पष्ट नियमों और पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े करती है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मृत किसानों के खातों में न तो उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जमा किया गया है और न ही नामांतरण की प्रक्रिया पूरी की गई है, इसके बावजूद सोसाइटियों के माध्यम से धान की खरीदी की जा रही है। यह पूरा मामला सोसाइटी स्तर पर मिलीभगत और लापरवाही की ओर इशारा करता है।
ग्रामीण किसानों का कहना है कि कई वास्तविक और जीवित किसान ऑनलाइन टोकन न मिलने, सर्वर डाउन होने और तकनीकी समस्याओं के चलते धान बेचने से वंचित रह जाते हैं, जबकि दूसरी ओर मृत किसानों के नाम पर धान आसानी से खरीदा जा रहा है। इससे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
स्थानीय ग्रामीणों और किसान संगठनों ने मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी सोसाइटी कर्मचारियों, प्रबंधकों व संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही यह भी मांग की गई है कि मृत किसानों के नाम पर हुई धान खरीदी की राशि और रिकॉर्ड की जांच कर भ्रष्टाचार की परतें खोली जाएं।
यदि समय रहते इस गड़बड़ी पर रोक नहीं लगाई गई तो शासन की धान खरीदी व्यवस्था की विश्वसनीयता पर गहरा असर पड़ेगा। अब देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाता है।
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