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सिंधी समाज के ईष्टदेव व समाज के खिलाफ अमित बघेल की आपत्तिजनक टिप्पणी पर बढ़ा आक्रोश

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देश व प्रदेश के विकास में सिंधी समाज का महत्वपूर्ण योगदान-राजकुमार नारायणी
दुर्ग ।
जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल द्वारा सिंधी समाज के ईष्टदेव और समाज के खिलाफ किए गए आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर विरोध के स्वर थमता नजर नहीं आ  रहा है। अमित बघेल की इस आपत्तिजनक टिप्पणी की दुर्ग नगर निगम के पूर्व सभापति एवं सिंधी समाज के युवा नेता राजकुमार नारायणी ने कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए कहा है कि सिंधी समाज अखंड भारत का अभिन्न सनातनी समाज है। समाज का देश की आजादी के साथ-साथ देश व छत्तीसगढ़  के विकास की गाथा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शांतिप्रिय छत्तीसगढ़ में सेवाभावी सिंधी समाज के खिलाफ अमित बघेल द्वारा ऐसा बयानबाजी कर सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में वैमनस्यता फैलाने की की कुचेष्ठा की गई है, जो अमित बघेल की दूषित मानसिकता का परिचायक है। श्री नारायणी ने कहा है कि आपत्तिजनक बयान के लिए अमित बघेल सिंधी समाज से तत्काल सार्वजनिक रुप से माफी मांगे और समाज विरोधी ऐसे बयानों की पुनरावृत्ति को रोकने पुलिस प्रशासन द्वारा अमित बघेल के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले अराजक तत्वों को बड़ा संदेश दें। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. बांकेलाल नारायणी के पुत्र दुर्ग नगर निगम के पूर्व सभापति एवं सिंधी समाज के युवा नेता राजकुमार नारायणी ने कहा है कि भारत पहले अंग्रेजों के आधिपत्य में था। सभी प्रांतो की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। भारत के लोग अंग्रजों के मशीनीकरण के चलते परेशान थे। देशवासी अंग्रजों की गुलामी से आजाद होना चाहते थे। जिसके चलते सभी वर्ग और प्रांत के लोग एकजुट होकर स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कूद पड़े। जिसमें सिंधी समाज के कई लोग शामिल रहे। इनमें से एक नाम शहीद हेमू कल्याणी का था। शहीद हेमू कल्याणी को उस समय किसी ने सिंध से नहीं बुलाया था। हम सब भारतीय है कहकर स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कूद पड़े थे। भारत स्वतंत्र हुआ और लोकतंत्र की स्थापना हुई। उस समय किसी बुद्धिजीवी वर्ग ने कोई सवाल नही उठाए, तो अमित बघेल कौन होते है? जो समाज विरोधी आधारहीन टिप्पणी कर छत्तीसगढ़ में जातीयता का जहर घोलने का प्रयास कर रहा है। श्री नारायणी ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद संविधान का निर्माण हुआ। जिसमें सबसे बड़ी विशेषता अनेकता में एकता रही। इस अनेकता में जाति,धर्म और समाज का अलग-अलग प्रांतो में होने के बाद भी उस प्रांत में सभी वर्ग, समाज व धर्म के लोग निवास करते है, तो अमित बघेल कौन होते है? जो भारत की एकता व अखंडता को तोड़ने का प्रयास कर रहे है। श्री नारायणी ने कहा कि अगर भारतीय एकजुट नहीं होते तो शायद हम स्वतंत्र नहीं हो पाते। संविधान निर्माण में आचार्य कृपलानी जी को भी सदस्य बनाया गया था। उनका भी मत लिया गया था। सन 1967 में 8वीं अनुसूची में सिंधी भाषा को भी जोड़ा गया है। संविधान में नागरिकों को मौलिक अधिकारों के साथ कर्तव्यों का भी बोध कराया गया है। जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी दिया गया है। इसलिए सभी लोगों को अपनी पसंद से धर्म मानने और अपने रिती-रिवाजों का पालन करने की स्वतंत्रता है।

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