होम / बड़ी ख़बरें / ट्रिपल इंजन की सरकार में एक सर्वमान्य पायलेट का अभाव, दुर्ग भाजपा को पड़ रहा भारी
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दुर्ग। नगर निगम दुर्ग में जब से नई बॉडी काबिज हुई है तब से आंतरिक कलह बढ़ गई है। अंदरखाने में सब कुछ ठीक नही चल रहा है। इन सबके पीछे मूलतः कमीशन पर सबकी नजर और ईगो की लड़ाई चल रही है। गुटबाजी इतना ज्यादा है कि विधायक व महापौर का अलग अलग गुट बन गया है। एकला चलो की नीति अपनाई जा रही है, और एक दूसरे को पूछा नही जा रहा है। श्रेय की राजनीति दुर्ग भाजपा को कमजोर कर रही है। अब चूंकि दुर्ग विधायक मंत्री बन गए है लिहाजा शासन से विकास कार्यो की मंजूरी जरूर करवा रहे है। पर निगम क्षेत्र में निर्माण कार्यो की नोडल एजेंसी निगम ही होता है, सो श्रेय की राजनीति से वह पीछे नही हट रहा है। तेज तर्रार कमिश्नर पर बेवजह दबाव बनाने का प्रयास हो रहा है किंतु वहां भी किसी की दाल नही गल रही है।
सूरते हाल ऐसा है कि निगम में भ्रष्टाचार ज्यादा हावी हो गया है, इसके लिए गुटबाजी चरम पर पहुंचा दी गई है। मंत्री बनने के बाद विधायक गुट का पलड़ा जाहिर तौर पर भारी हुआ है। किंतु निगम का महापौर गुट उनसे यथासंभव समन्वय नही बना पा रहा है, और इसकी खबर राजधानी रायपुर तक भी पहुंच गया है। उधर कांग्रेस इसका फायदा उठाने का मौका खोज रही है।
नालंदा परिसर ताजा उदाहरण है। मंत्री ने इसे स्वीकृत कराया है, पर महापौर इसका भूमिपूजन कर श्रेय अकेले ले लेना चाहती हैं। बिना भूमिपूजन के ही इसका निर्माण कार्य आरंभ हो चुका है। यह बात भी रायपुर के रणनीतिकारों तक पहुंच चुकी है।
कमीशन की राह जब प्रशस्त नही हुई तो निगमायुक्त के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया। उन्हें हटाने का अभियान छेड़ दिया गया है, जबकि एक दो माह में कमिश्नर को सरकार से आईएएस अवार्ड मिलने जा रहा है। वे स्वयम यहां से चले जायेंगे। मंत्री व महापौर के लोग कमिश्नर को परस्पर एक दूसरे पक्ष का पैरोकार समझते है, जबकि अपने ताबड़तोड़ कार्य से कमिश्नर ने महापौर खेमे में खलबली मचा रखी है। आज निगम के ठेकेदार 5 व 7 परसेंट कमीशन की बात खुले रूप से कह रहे है। जब अंदर भारी मात्रा में गड़बड़ी हो तो इस तरह की बात निकलना स्वाभाविक है। सब अपनी ढपली अपना राग अलाप रहे है।
दरअसल आज भी दुर्ग की राजनीति में ऐसे पालक नेता का अभाव है जो सबको एक लाठी से हांक सके। एक बड़े नेतृत्व के अभाव में सब अपनी मर्जी चलाने आतुर है। हेमचन्द यादव की तरह कोई ऐसा नेता दिखता नही जो आपसी सुलह कर समन्वय की आदर्श राजनीति की नींव रख सके।
आज भले ही भाजपा की ट्रिपल इंजन की सरकार दुर्ग में चल रही हो, मगर एक सर्वमान्य पायलेट का अभाव दिख रहा है। बेशक कांग्रेस इसका लाभ उठाएगी।
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