नगपुरा/ दुर्ग। श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में चातुर्मासिक आराधना क्रम में "श्री हीर सूरी- तपोत्सव" अंतर्गत पाँच दिवसीय विशिष्ट अनुष्ठान चल रहा है। चातुर्मास निश्रादात्री साध्वीवृंद श्री लक्ष्ययशा श्रीजी, श्री लब्धियशाश्री जी एवं श्री आज्ञायशा श्री जी म० सा० की निश्रा में आयोजित पंचान्हिका उत्सव में 'विरतिधर्म आराधना- भावपूर्ण सामायिक की साधना, श्री पद्मावतीदेवी विशिष्ट के साथ आज जगदगुरु श्री हीरसूरीजी के जीवन वृत्तांत पर गुणानुवाद सभा हुई, जिसमें पूज्य गुरू भगवंतो ने श्री हीरसूरीजी म सा के जीवन से जुड़े अनेकों प्रसंग से सभा को अवगत कराया। तीर्थ परिसर में अनेको श्रावक- श्राविका जप-तप से जुड़े हुए हैं।
मासक्षमण तपस्वीयों का तप वरघोड़ा एवं पारणा...
चातुर्मास आराधक कु. अमि किरीटभाई सेठ नागपुर एवं कु. साक्षी मेहूल भाई शाह भरूच तीस दिवसीय उपवास के साथ मासक्षमण तप कर रहे है। रविवार को इन तपस्वियों के तप अनुमोदनार्थ भव्य वरघोड़ा (जुलुस) एवं तपस्वी अभिनंदन का कार्यक्रम है। इस अवसर पर भरूच एवं नागपुर जैन संघ के अग्रणी ट्रस्टीगणों का तीर्थ आगमन हो रहा है। सोमवार को तपस्वियों के तप पूर्णाहूति के साथ पारणा होगा। उल्लेखनीय है कि दोनों तपस्वीयों ने बहुत ही कम उम्र में मासक्षमण तप कर जीवन को धन्य बनाया है। चातुर्मास सह संयोजक मयूरभाई सेठ ने बतलाया कि इन दोनों तपस्वियों के तपस्या के साथ-साथ तीन अन्य बहनें भी 16 दिवसीय उपवास,आठ दिवसीय उपवास एवं लगभग 40 बहनें तीन दिवसीय उपवास की तपस्या किए है। जैन धर्म में तप का विशिष्ट महत्त्व है। नवपद की आराधना में अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, दर्शन, ज्ञान, चारित्र के साथ तप पद की आराधना को नमन किया गया है। जैन धर्म अहिंसा प्रधान धर्म के साथ- साथ तपप्रधान धर्म है। चातुर्मास के दिनों में पूरे भारतवर्ष गुरू भगवंतो की निश्रा में लाखों लोग मासक्षमण जैसे अन्य तप आराधना करते हैं।
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