खास खबरें

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: धर्म, संस्कृति और चेतना का उत्सव

66116082025072405img-20250816-wa0040.jpg

भारतवर्ष की सांस्कृतिक विरासत में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा पर्व है, जो न केवल आध्यात्मिक उल्लास से भर देता है, बल्कि समाज को धर्म, कर्म और प्रेम का संदेश भी देता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जिनका जीवन स्वयं में एक अद्भुत लीला, गीता का ज्ञान और धर्म की रक्षा का संकल्प रहा है।
कृष्ण: बाल लीला से गीता ज्ञान तक..
श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मथुरा के कारागार में हुआ था। उस समय कंस का अत्याचार चरम पर था, और भगवान कृष्ण का अवतरण इसी अधर्म के अंत हेतु हुआ। उनका बाल्यकाल गोकुल और वृंदावन की गलियों में बीता, जहाँ उन्होंने माखन चुराया, रास रचाया और असुरों का विनाश किया।
परंतु कृष्ण केवल बाल लीलाओं तक सीमित नहीं थे। महाभारत के युद्धक्षेत्र कुरुक्षेत्र में अर्जुन को दिया गया गीता का उपदेश आज भी मानवता के लिए दिशा-सूचक है। "कर्मण्येवाधिकारस्ते" से लेकर "यदा यदा हि धर्मस्य…" तक, गीता के हर श्लोक में कृष्ण जीवन के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में समझाते हैं।
जन्माष्टमी का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पक्ष..
जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का उत्सव है। इस दिन व्रत, उपवास, झाकियाँ, रासलीला, भजन-कीर्तन और मटकी फोड़ जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मथुरा, वृंदावन, द्वारका और भारत के कोने-कोने में मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। भक्त रात्रि 12 बजे, श्रीकृष्ण के जन्म के समय, आरती और जन्मोत्सव के साथ दिव्य आनंद का अनुभव करते हैं।
आधुनिक संदर्भ में श्रीकृष्ण का संदेश..
आज जब समाज भौतिकता की दौड़ में नैतिक मूल्यों से दूर होता जा रहा है, तब श्रीकृष्ण का जीवन हमारे लिए मार्गदर्शक है। उन्होंने हमें सिखाया कि जीवन में कैसे संतुलन रखा जाए — जब वक्त हो, तब युद्ध भी धर्म के लिए आवश्यक होता है, और जब अवसर मिले, तो प्रेम, करुणा और हास्य से जीवन को रंगीन बनाया जा सकता है।
उपसंहार..
जन्माष्टमी केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक चेतना है — धर्म की, प्रेम की, कर्तव्य की और ज्ञान की। यह पर्व हमें यह स्मरण कराता है कि हर युग में कृष्ण रूपी चेतना अधर्म पर धर्म की विजय के लिए अवतरित होती है।
इस जन्माष्टमी, आइए हम सब अपने भीतर के कृष्ण को पहचानें — जो हर कठिन समय में हमें सही निर्णय लेने की प्रेरणा देता है। ...जय श्रीकृष्ण।
हर्ष शुक्ला
संपादक – आरएनएस

Image after paragraph

 

 

एक टिप्पणी छोड़ें

Data has beed successfully submit

Related News

Advertisement

Popular Post

This Week
This Month
All Time

स्वामी

संपादक- पवन देवांगन 

पता - बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल :  dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

हमारे बारे में

हिंदी प्रिंट मीडिया के साथ शुरू हुआ दक्षिणापथ समाचार पत्र का सफर आप सुधि पाठकों की मांग पर वेब पोर्टल तक पहुंच गया है। प्रेम व भरोसे का यह सफर इसी तरह नया मुकाम गढ़ता रहे, इसी उम्मीद में दक्षिणापथ सदा आपके संग है।

सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।

logo.webp

स्वामी / संपादक- पवन देवांगन

- बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल : dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

NEWS LETTER
Social Media

Copyright 2024-25 Dakshinapath - All Rights Reserved

Powered By Global Infotech.