रायपुर । छत्तीसगढ़ का सूचना आयोग पूरी तरह से बिना नेतृत्व के, चरमराई हुई स्थिति में पहुंच चुका है। ढाई साल से मुख्य सूचना आयुक्त का पद खाली है। आयोग में केवल एक सूचना आयुक्त से ही आयोग संचालित हो रहा है। 40 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं, और सुनवाई की लगभग ठप हो चुकी है। नवंबर 2022 में तत्कालीन मुख्य सूचना आयुक्त एमके राउत के रिटायरमेंट के बाद से अब तक इस महत्वपूर्ण पद पर कोई नियुक्ति नहीं हुई। दिसंबर 2024 में सरकार बदलने के बाद दो सूचना आयुक्त रिटायर्ड आईएएस एनके शुक्ला और आलोक चंद्रवंशी की नियुक्ति की गई, लेकिन उम्र संबंधी कारणों से शुक्ला जल्द रिटायर हो गए, और अब आलोक चंद्रवंशी अकेले सूचना आयोग की पूरी जि़म्मेदारी संभाल रहे हैं। आयोग में तीन सूचना आयुक्तों के पद हैं और चार कोर्ट बनाये गए हैं। सिर्फ एक ही कोर्ट संचालित हो पा रहा है। यदि आलोक चंद्रवंशी अवकाश पर जाते हैं या अस्वस्थ हो जाते हैं, तो पूरी सुनवाई प्रक्रिया ठप हो जाती है।
मामले निपटाने मेें लगेंगे सालभर
आयोग में लंबित मामलों की संख्या 40,000 पार कर चुकी है। यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्यों से भी ज्यादा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इन मामलों को निपटाने में कम से कम 10 सूचना आयुक्तों को भी सालभर लग जाएगा।
नियुक्ति प्रक्रिया पर कोर्ट की रोक
सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए इंटरव्यू हो चुका है और पैनल भी तैयार है, लेकिन चयन प्रक्रिया को लेकर हाई कोर्ट में याचिका लंबित है। 25 साल के अनुभव की शर्त को लेकर विवाद के चलते बिलासपुर हाई कोर्ट में सुनवाई रुकी हुई है। सामान्य प्रशासन विभाग दो महीने से सुनवाई की तारीख का इंतजार कर रहा है।
जनसूचना अधिकारियों की मनमानी..
आयोग की निष्क्रियता का सीधा असर जनसूचना अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर पड़ा है। जुर्माने और जवाबदेही के डर के बिना अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। कई विभागों में सूचना देने से इनकार करने या टालने की प्रवृत्ति बढ़ी है, क्योंकि आयोग से उन्हें किसी कार्रवाई का डर नहीं है।
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