-हर्ष और उल्लास के वातावरण में जय आनंद मधुकर रतन भवन में चातुर्मास का पहला दिवस संपन्न
-गुरुओं को याद कर गुरु पूर्णिमा की दी शुभकामनाएं
दुर्ग। जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में हर्ष और उल्लास के वातावरण में आज चातुर्मास का पहला दिवस संपन्न हुआ। आज बड़ी संख्या में श्रावक और श्राविकाओं ने त्याग तपस्या और धर्म आराधना कर चातुर्मास के आयोजन में त्याग तपस्या से आज के दिवस को यादगार बनाया।
चतुर्मास की पहली धर्म सभा को संबोधित करते हुए समन्वय साधिका साध्वी प्रियदर्शना श्री ने कहा जीवन में श्रद्धा ही बोल है, श्रद्धा ही योग है, श्रद्धा ही ज्ञान है, श्रद्धा ही ध्यान है, श्रद्धा ही जीवन का मक्खन है, यही सार तत्व है। श्रद्धावन व्यक्ति समस्त सद्गुणों का अधिकारी हो जाता है जिसमें श्रद्धा गुण नहीं है उसके समस्त सद्गुण भी दुर्गुण रूप में हो जाते हैं । श्रद्धा से सद्बुद्धि जाती है और श्रद्धा से कुबुद्धि जाती है। जो सुविचार वन है वही सु साधु है और जो खूब विचारवान है वही सु साधु है श्रद्धा जीवन का सत्य प्रकाश है जीवन में श्रद्धा का प्रकाश बढ़ता है तो अश्रद्धा ओर अंध श्रद्धा के बादल छट जाते हैं।
साध्वी श्री विचक्षणा श्री ने चातुर्मास की पहली धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा गुरु पूर्णिमा हम सभी के जीवन में अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का मार्ग दिखाती है गुरु से ज्ञान गुरु से धर्म गुरु से गुणो की अभिवृद्धि होती है जिसके जीवन में गुरु का ज्ञान है वह व्यक्ति जीवन के हर मार्ग पर सफल होता है। उन्होंने कहा गुरु बिन जीवन शुरू नहीं जिनके जीवन में गुरु नहीं है उनका जीवन शुरू नहीं है। जीवन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए मार्गदर्शन करने के लिए गुरु की अपनी अहम भूमिका है।
आज धर्म सभा में गुरु गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सद्गुरु नथाय नमः का जाप अनुष्ठान संपन्न हुआ।
साध्वी सुकृति श्रीजी एवं साध्वी सुप्रज्ञपति श्री जी धर्म ध्यान करने की प्रेरणा देते हुए अनेक धार्मिक संकल्प धार्मिक प्रश्नोत्तरी एवं ज्ञानार्जन धार्मिक कक्षाओं का संचालन चातुर्मास के दौरान चार माह करने वाले हैं।
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