नगपुरा। श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में चातुर्मास प्रवचन श्रृंखला के अंतर्गत साध्वी श्री लक्ष्ययशा श्री जी म.सा. ने कहा कि मन भौतिक पदार्थों में सुख की कल्पना करता है, जबकि वास्तविक सुख तो परमात्मा के बताए मार्ग का अनुसरण करने से ही मिलता है। उन्होंने कहा कि “सम्यक् दर्शन-ज्ञान-चारित्राणि मोक्षमार्गः” का यही तात्पर्य है कि मोक्ष का मार्ग सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र के आचरण से ही संभव है।
साध्वी श्री ने कहा कि चातुर्मास आत्मजागृति का पर्व है। यह समय आत्मा को पहचानने, जप-तप व त्याग से जुड़ने का है। यह आराधना वासना से उपासना, विनाश से विकास और तृष्णा के क्षय का मार्ग है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि चातुर्मास में सम्यकत्व की प्राप्ति के लिए रत्नत्रयी की आराधना, व्रत-नियमों का पालन और मर्यादा का दृढ़ता से निर्वाह करें।
पुरुषार्थ करने की भावना हो तो सामर्थ्य स्वयं आ जाता है : साध्वी आज्ञायशाश्री जी
इसी क्रम में साध्वी श्री आज्ञायशाश्री जी म.सा. ने अपने प्रवचन में कहा कि “आत्मा ही परमात्मा है और प्रत्येक आत्मा में परमात्मा बनने की शक्ति निहित है।" सम्यक ज्ञान के अभाव में जीव अनगिनत जन्मों तक भटकता रहता है। उन्होंने चातुर्मास की उपमा देते हुए कहा कि जैसे वर्षा का जल पत्थर से बहकर निकल जाता है, पर मिट्टी में समा जाता है, वैसे ही मन को भी मिट्टी की तरह बना कर जिनवाणी के अमृत को हृदय में धारण करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भावना और क्रिया एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। बिना पुरुषार्थ के भावना निष्फल रहती है, इसलिए भावना के साथ पुरुषार्थ अनिवार्य है। सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र के बिना शाश्वत सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती।
गुरु पूर्णिमा पर विशेष प्रवचन एवं गुरु गुणानुवाद..
मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बताया कि आगामी 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर प्रवचन श्रृंखला में प्रातः काल श्री गौतम स्वामी जी, श्री सुधर्मा स्वामी जी, जगद्गुरु श्री हीरसूरीजी एवं कविकुल किरीट श्री लब्धिसूरीजी आदि गुरु भगवंतों का यशोगान एवं गुणानुवाद होगा।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के उपस्थित रहने की संभावना है। आयोजन समिति ने सभी श्रद्धालुओं से धर्मलाभ लेने की अपील की है।
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