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दो टन बारूद, 12 टन राशन...!

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-आखिर क्या थी केजीएच में छुपे नक्सलियों की मंशा 
-ऑपरेशन कर्रेगुट्टा हिल ने हिलाकर रख दी नक्सलियों की बुनियाद 
-सीआरपीएफ के एक्शन से नक्सलियों की बड़ी साजिश हुई ध्वस्त 
जगदलपुर
।  विपक्ष भले ही कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर सीआरपीएफ द्वारा चलाए गए एंटी नक्सल ऑपरेशन पर सवाल उठा रहा है, मगर इस ऑपरेशन ने बस्तर और छत्तीसगढ़ को बड़े खतरे से बचा लिया है। कर्रे गुट्टा पहाड़ी पर स्थित नक्सलियों के ठिकानों से दो टन बारूद, घातक हथियारों का जखीरा और 12 टन अनाज मिलना कोई मामूली बात नहीं है। इस 2 टन बारूद से पूरे छत्तीसगढ़ के जर्रे जर्रे को तबाह किया जा सकता था। ये तो भला ही सीआरपीएफ, डीआरजी और एसटीएफ के उन जांबाज अधिकारियों और जवानों का जिन्होंने राज्य को बड़े खतरेसे बचा लिया।
      बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ी, जिसे केजीएच या कर्रेगुट्टालु हिल के नाम से भी जाना जाता है छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश के नक्सलियों का बहुत बड़ा ठिकाना रहा है। यहां नक्सलियों ने दर्जनों बंकर तीन लेथ मशीनों और उपकरणों से युक्त हथियार बनाने की फैक्ट्रियां अनाज गोदाम और हथियार भंडार बना रखे थे। सुरक्षा बलों ने लगातार 21 दिनों तक ऑपरेशन केजीएच चलाकर जो शौर्य और पराक्रम दिखाया है, वह नमन करने योग्य है। सीआरपीएफ जवानों ने इस ऑपरेशन 31 दुर्दांत नक्सलियों को ढेर कर दिया और उनके हथियार भंडारों, हथियार बनाने के कारखाने, बड़े नक्सली संगठनों के हेड क्वाटर, बंकर्स, पीएलजीए की टेक्निकल डिपार्टमेंट यूनिट, शस्त्र भंडार को भी जमीदोज कर दिया। नक्सलियों ने पहाड़ी पर बनाए गोदामों में दो टन बारूद और 12 टन अनाज जमा कर रखा था। इससे नक्सलियों की मंशासाफ जाहिर हो जाती है कि वे लंबे समय तक बस्तर में विध्वंस मचाने की पूरी तैयारी कर चुके थे। विस्फोटकों के जानकार बताते हैं कि दो टन बारूद से छत्तीसगढ़ के बड़े हिस्से को पूरी तरह तबाह किया जा सकता था। नक्सली एक तरफ तो बार बार शांति वार्ता की दुहाई देते रहे और दूसरी ओर कर्रेगुट्टा पहाड़ी के अपने ठिकानों में बारूद और रसद जमा करते रहे। साफ जाहिर होता है कि शांति वार्ता के बहाने सुरक्षा बलों के ऑपरेशन पर विराम लग जाए और नक्सली इधर खूनी खेल खेलते रहें। इसके 4-5 उदाहरण बस्तर के बीजापुर एवं सुकमा जिलों से हाल के दिनों में सामने भी आ चुके हैं, जब ऑपरेशन कर्रेगुट्टा हिल थमते ही नक्सलियों ने चार बेकसूर लोगों को मार डाला। यह भी कहा जा रहा है कि नक्सली अपने बारूद, हथियारों और रसद के भंडारों को बचाने के लिए शांति वार्ता की पेशकश बार बार कर रहे थे। दाद देनी  होगी हमारे बहादुर जवानों को, जिन्होंने खराब मौसम और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में भी अपनी बहादुरी और शौर्य से नक्सलियों का सामना किया। केजीएच की बेहद कठिन परिस्थितियों और 45 डिग्री से अधिक तापमान के बावजूद जवानों का मनोबल उत्कृष्ट बना रहा और उन्होंने पूरे साहस के साथ ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया। कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पीएलजीए बटालियन-1 डीकेएसजेडसी, टीएससी और सीएआरसी जैसे बड़े नक्सल संगठनों का यूनिफाइड हेडक्वार्टर था, जहां नक्सल ट्रेनिंग दी जाती थी, हिंसा की रणनीति तैयार की जाती थी और हथियार भी बनाए जाते थे। सूत्र बताते हैं कि केजीएच में अपना बेस और तमाम स्ट्रक्चर तैयार करने में नक्सलियों को कम से कम ढाई साल तक मेहनत करनी पड़ी होगी। कुर्रेगुट्टालू पहाड़ नक्सलियों के सबसे मजबूत सशस्त्र संगठन पीएलजीए बटालियन, सीआरसी कंपनी एवं तेलंगाना स्टेट कमेटी सहित अनेक शीर्ष काडर्स की शरणस्थली थी। केएचजी लगभग 60 किमी लंबा और 5 किमी से लेकर 20 किमी चौड़ा बेहद दुष्कर पहाड़ी क्षेत्र है। इसकी भौगोलिक परिस्थिति बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण है। ?सी जगह पर भी नक्सलियों ने पचासों ठिकाने बना रखे हैं, जिनमें से 214 नक्सली ठिकाने और बंकर नष्ट किए जा चुके हैं। तलाशी के दौरान 450 आईईडी, 818 बीजीएल शेल, 899 बंडल कॉडेक्स, डेटोनेटर और दो टन बारूद  12 हज़ार किलोग्राम राशन  बरामद किए गए हैं।

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