-करोड़ों रूपए का आबंटन किया गया था, कृषि विभाग
-वर्मी कम्पोस्ट के नाम पर हुआ बंदरबांट
रायपुर। राज्य में गौठानों की बदइंतजामी को देखते हुए कृषि विभाग अब इसकी जांच कराने पर विचार कर रहा है। ज्ञात रहे यहां वर्मी कम्पोस्ट खाद के नाम अधिकारियों जमकर बंदरबांट मचाया।
भूपेश सरकार ने नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी का नारा दिया था, जिसके तहत गौठान खोले गए थे, जिसमें पशुओं के ठहरने एवं चारे की व्यवस्था किया जाना था। पूर्व मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी जिलों में ग्रामीण स्तर पर तेजी से खोला गया। जिस पर कृषि विभाग ने करीब 5 हजार करोड़ रूपए से अधिक की राशि खर्च कर दी थी, लेकिन नतीजा नहीं निकला। यहां पर गोबर इकट्ठा किया जाता था, जिसका केचुआ खाद बनाया जाता था, सूख जाने पर इसे फेक दिया जाता है, इसकी राशि को लेकर अधिकारियों में जमकर बंदरबांट हुआ। इसे वर्मी कम्पोस्ट कहा जाता था, जिसे किसानों को खरीदना अनिवार्य करा दिया था। भूपेश सरकार के जाने के बाद अब सभी गौठान खंडहर बन गये हैं, जहां आवारा पशुओं और नशेडिय़ों का जमावड़ा हो गया है। यह पर गोबर इकट्ठा करने और अन्य प्रावधान किए जाने की योजना थी, लेकिन सरकार बदलते ही अब इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
राज्य के कृषि मंत्री रामविचार नेताम के संज्ञान में यह मामला आया है। इसकी जांच कराने के लिए अभी कोई अधिकृत आदेश जारी नहीं हुआ है। लेकिन भविष्य में इसकी जांच कराने के संदेश मिले हैं। राज्य करीब 20 हजार से अधिक गांव है, जहां पर यह महत्वाकांक्षी योजना लागू करने पर दबाव बनाया गया था। अब यहां पर बजट का आबंटन रोक दिया गया है। कृषि विभाग के अधिकारी इस पर मौन साधे हुए हैं।
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