होम / दुर्ग-भिलाई / चैत्र नवरात्रि में पंचमी के दिन माता परमेश्वरी का विशेष श्रृंगार कर बड़ी संख्या में महिलाओं ने महाआरती की,जगमगा उठा मंदिर परिसर
दुर्ग-भिलाई
-सराहनीय पहल : शालेय बच्चों में आध्यात्मिक, सामाजिक एवं नैतिक संस्कार डालने हेतु देवी भागवत कथा श्रवण करने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था, 50 बच्चों ने 3 घंटे तक उत्साह पूर्वक कथा श्रवण किया
-परमेश्वरी मंदिर प्रगति नगर में चल रहे देवी भागवत कथा में पंचमी के दिन महिषासुर संहार, रक्तबीज उद्धार एवं माता चंद्रघंटा की कथा सुनाई गई
भिलाई। प्रगति नगर रिसाली स्थित परमेश्वरी मंदिर में चैत्र नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। हर रोज जस गीत, माता सेवा एवं भक्ति संगीत की धूम मची हुई है। इसी परिप्रेक्ष्य में चतुर्थी-पंचमी के दिन प्रातः "परमेश्वरी मंदिर" में माताजी का विशेष श्रृंगार किया गया। संध्या समय मां परमेश्वरी की "महाआरती" हुई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने अपने घरों से दीयों से सजा कर लाए आरती की थालियों से आरती की। पूरा मंदिर परिसर जगमगा उठा। देवांगन जन कल्याण समिति भिलाई के अध्यक्ष घनश्याम कुमार देवांगन एवं उनकी पत्नी सुमन देवांगन ने मुख्य यजमान के रूप में आरती की। इस अवसर पर पूरे मंदिर परिसर को आकर्षक ढंग से दीयों एवं झालरों से सजाया गया था। उल्लेखनीय है कि परमेश्वरी मंदिर में 154 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं।
परमेश्वरी मंदिर में चल रहे श्रीमद् देवी भागवत पुराण कथा में पंचमी के दिन बुधवार को कथा व्यास आचार्य डॉ नीलेश शर्मा जी ने महिषासुर संहार, रक्तबीज उद्धार एवं मां चंद्रघंटा की कथा सुनायी। आज कथा में भगवान शिव एवं पार्वती के विवाह के प्रसंग पर प्रस्तुत भक्ति संगीत पर श्रद्धालुगण झूम झूम कर नाचते रहे।
शालेय बच्चों में आध्यात्मिक, सामाजिक एवं नैतिक संस्कार डालने हेतु देवी भागवत कथा श्रवण करने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। लगभग 50 बच्चों ने उपस्थित होकर उत्साह पूर्वक 3 घंटे तक कथा का आनंद लिया। सभी ने देवांगन समाज के इस पहल की सराहना की।
आचार्य नीलेश ने कहा कि बच्चों में बड़े बुजुर्गो तथा गुरूजनों का प्रणाम एवं सम्मान करने का संस्कार डालना चाहिए। अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन आवश्यक है। नारी का सम्मान घर, परिवार, समाज हर जगह किया जाना चाहिए। जो पत्नी अपने पति एवं परिवार को धर्म की ओर ले जाएं वह धर्म पत्नी है। अपने प्रवचन में आचार्य नीलेश शर्मा ने कहा कि ऋग्वेद में वर्णित है कि सभी प्राणी जिनके भीतर स्थित हैं और जिनसे सम्पूर्ण जगत प्रकट होता है तथा जिन्हें परम तत्त्व कहा गया है, वे साक्षात स्वयं भगवती ही हैं।
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