होम / बड़ी ख़बरें / बालाघाट की पहचान रेंजर कॉलेज को यथावत रखा जाए, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सांसद से रखी मांग, सांसद ने कहा हर हाल मंे कॉलेज को रोकने होगा प्रयास
बड़ी ख़बरें
बालाघाट। जिले के 100 साल से भी ज्यादा पुराने, रेंजर कॉलेज के जबलपुर में स्थानांतरित होने की खबर के बाद, लोगांे ने जनप्रतिनिधियों पर दबाव बना शुरू किया है।
8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सर्वसमाज की महिलाओं ने सांसद भारती पारधी को रेंजर कॉलेज में रेंजरों के प्रशिक्षण को शुरू करने की मांग करते हुए इसके स्थानांतरण पर विरोध दर्ज कराया। उन्होने कहा कि रेंजर कॉलेज जिले की पहचान है।
दरअसल, वन संपदाओं से परिपूर्ण, बालाघाट जिले में वनो की अधिकत्ता को देखते हुए, तत्कालीन अंग्रेज शासनकाल में वर्ष 1907 में बालाघाट में रेंजर कॉलेज की स्थापना की गई थी और वर्ष 1979 से प्रशिक्षु, रेंजरों को, यहां प्रशिक्षण देने शुरू किया गया था। जिसके बाद से लगातार, जिले में रेंजर कॉलेज, में प्रशिक्षु रेंजरो की बैच आनी शुरू हो गई थी लेकिन वर्ष 2014 में प्रशिक्षु, रेंजर की अंतिम बैच के बाद से यहां अब प्रशिक्षण बंद है, तब से जिले के रेंजर कॉलेज की पहचान, अपने अस्तित्व को बचाने संघर्ष कर रहा है।
बालाघाट के रेंजर कॉलेज में स्टॉप की कमी को इसकी वजह बताया जा रहा है। बताया जाता है कि फेकल्टी, बालाघाट से आवागमन के बेहतर साधन नहीं होने से आना नहीं चाहती है। यही कारण है कि रेंजर कॉलेज में 2014 के बाद से प्रशिक्षु, रेंजरों का प्रशिक्षण पूरी तरह से बंद है।
महिला मीना चावड़ा ने बताया कि रेंजर कॉलेज के स्थानांतरण से जिले का हर कोई दुःखी है, यह जिले की पहचान है और हम चाहते है कि इसे, जिले मंे ही रखा जाए और पुनः कॉलेज को प्रारंभ किया जाए। जिस आशय का ज्ञापन हमने आज सांसद भारती पारधी को देने आए है। हमें विश्वास है कि सांसद, जिलेवासियो की मांग को गंभीरता से लेगी।
सांसद भारती पारधी ने कहा कि, जिले का रेंजर कॉलेज, जिले की पहचान है, यहां, रेंजर कॉलेज में प्रशिक्षण लेने आने वालों को हमने देखा है। जिसके जबलपुर स्थानांतरण की बात संज्ञान में आई है, जिसका हम विरोध दर्ज करते है और मेरा प्रयास होगा कि रेंजर कॉलेज यहां यथावत रहे और इसके जो भी करना पड़ेगा, जिलेवासियों के साथ मिलकर किया जाएगा। इस दौरान मीना चावड़ा, मीना राहंगडाले, रविता क्षीरसागर, ज्योति जुनेजा, कल्पना बाहेकर, ममता बाहेकर, दिपिका बिसेन, धनेश्वरी कटरे, नीलु कटरे, वैशाली वानखेड़े, कृष्णासिंह, सीमा गुप्ता, लता हरिनखेड़े, रजनी ठाकरे, वर्षा बिसेन, मीनाक्षी राहंगडाले, सीमा चौधरी, रिंतामणी चौहान, नीतु बिसेन, मालती बिसेन, तोमन ऐड़े, सरिता गौतम, सीमा टेंभरे, रजनी टेंभरे, सुलोचना राहंगडाले, सुशीला हरिनखेड़े, निर्मला गौतम, आस्था कटरे, अनिका ठाकरे सहित बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थी।
संपादक- पवन देवांगन
पता - बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)
ई - मेल : dakshinapath@gmail.com
मो.- 9425242182, 7746042182
हिंदी प्रिंट मीडिया के साथ शुरू हुआ दक्षिणापथ समाचार पत्र का सफर आप सुधि पाठकों की मांग पर वेब पोर्टल तक पहुंच गया है। प्रेम व भरोसे का यह सफर इसी तरह नया मुकाम गढ़ता रहे, इसी उम्मीद में दक्षिणापथ सदा आपके संग है।
सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।
Copyright 2024-25 Dakshinapath - All Rights Reserved
Powered By Global Infotech.