दुर्ग-भिलाई

सीसीडीए ने अधिसूचना जीएसआर 220(ई) वापस लेने उठाई आवाज

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ऑनलाईन दवाई डिलिवरी को सीसीडीए ने जन स्वास्थ्य के लिए बताया बड़ा खतरा
दुर्ग ।
छत्तीसगढ़ केमिस्ट एण्ड डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन (सीसीडीए) कोरोनाकाल के समय केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा लागू किए गए अधिसूचना संख्या जीएसआर 220 (ई) के खिलाफ लामबंद हो गया है। इस मुद्दे पर मंगलवार को दुर्ग में एसोसिएशन पदाधिकारियों द्वारा प्रेसवार्ता कर अधिसूचना को  वर्तमान समय में जन स्वास्थ्य की सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा खतरा बताया गया है। लिहाजा एसोसिएशन पदाधिकारियों ने केन्द्र सरकार से अधिसूचना संख्या जीएसआर 220 (ई) को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की है। मीडिया से चर्चा में छत्तीसगढ़ केमिस्ट एण्ड डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन (सीसीडीए) के सचिव अविनाश अग्रवाल ने कहा है कि कोरोनाकाल में जरुरतमंद मरीजों के घरों तक ऑनलाईन दवाई उपलब्ध कराने की आपातकालीन स्थिति की आवश्यकता की पूर्ति के लिए अधिसूचना संख्या जीएसआर 220 (ई) लागू की गई थी, क्योंकि कोरोनाकाल में चिकित्सक भी मरीजों को आसानी से सुलभ नही होते थे। जरुरतमंद मरीजोंं को आसानी से दवाईयां उपलब्ध हो सके। यह अधिसूचना लागू करने का मुख्य उद्देश्य था, लेकिन वर्तमान में कोरोनाकाल खत्म हो चुका है। भविष्य में कोरोना जैसी स्थिति के वापस लौटने की संभावना भी नहीं है। बावजूद यह अधिसूचना आज भी प्रभावी है। जिसका खुलकर दुरुपयोग होने के कई प्रकरण सामने आ चुके है। लोगों को बगैर डॉक्टरी पर्ची के प्रतिबंधित दवाईयों का ऑनलाईन डिलिवरी हो रही है। नशे में उपयोग करने के लिए भी दवाईयां लोगों को ऑनलाईन डिलिवरी के माध्यम से आसानी से उपलब्ध हो रही है, जबकि दवाई खरीदी के लिए डॉक्टरी पर्ची अनिवार्य है। डॉक्टरी पर्ची के समयकाल को लेकर  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के विशेष गाईडलाईन है। दवाई की आपूर्ति लाइसेंसधारी मरीज को उसी जिले में करवा सकता है, जहां वह खुद व्यवसाय का संचालन करता हो, लेकिन वर्तमान में दवाईयों की ऑनलाईन डिलिवरी में उक्त नियम का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। जिससे प्रतिबंधित दवाईयों का व्यापार बड़े पैमाने पर फल-फूल रहा है, जिसका लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। जनहित में अधिसूचना संख्या जीएसआर 220 (ई) को केन्द्र सरकार तत्काल वापस ले। छत्तीसगढ़ केमिस्ट एण्ड डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन (सीसीडीए) के सचिव अविनाश अग्रवाल ने कहा है कि उक्त अधिसूचना के खिलाफ केन्द्र सरकार से चार बार पत्राचार किया जा चूका है। जिसके माध्यम से अधिसूचना के विसंगतियों की गंभीरता को अवगत कराया गया है, लेकिन केन्द्र सरकार जन स्वास्थ्य के सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर मौन क्यों है? यह समझ से परे है। अगर केन्द्र सरकार का यही रवैया रहा, तो छत्तीसगढ़ केमिस्ट एण्ड डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन (सीसीडीए) जल्द ही जनहित में बड़ा आंदोलन छेड़ने बाध्य होगी। छत्तीसगढ़ केमिस्ट एण्ड डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन (सीसीडीए) के सचिव अविनाश अग्रवाल ने दवाईयों को ड्रग कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि दवाई मेडिसीन होती है, जबकि ड्रग कोकीन, ब्राऊन शुगर, अफीम एवं अन्य  नशीली पदार्थ होती है, लेकिन जब भी पुलिस द्वारा ड्रग के खिलाफ कार्यवाही की जाती है, तो यह कहा जाता है कि नशीली दवाई पकड़ी गई है। इस बोलचाल की भाषा से समाज में दवाई विक्रेताओं के प्रति गलत धारणा बनती है। जिससे दवाई विक्रेताओं की छवि धूमिल होती है। बोलचाल में ऐसा व्यवहार अनुचित है।
प्रेसवार्ता के दौरान अखिल भारतीय दवा विक्रेता संघ के कार्यकारिणी सदस्य सुधीर अग्रवाल, छत्तीसगढ़ केमिस्ट एण्ड डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन (सीसीडीए) संगठन मंत्री देवव्रत गौतम, वरिष्ठ केमिस्ट सतीश समर्थ, दुर्ग जिला दवा विक्रेता संघ अध्यक्ष वकार हसन खान, सचिव दीपक बंसल, कोषाध्यक्ष सत्येन्द्र जैन, उपाध्यक्ष विनय पंचोली, पीआरओ जयवीर गुप्ता, पूर्व सचिव अरुण ताम्रकार मौजूद रहे।

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