दुर्ग । नगपुरा में चल रहे शिवमहापुराण के पंचम दिवस कथा व्यास पंडित लुकेश्वरानन्द दुबे ने माता-पिता के सेवा पर विशेष महत्व देते हुए अपने प्रवचन में भगवान श्री कार्तिकेय और श्री गणेश जी अवतार की कथा सुनाया। पं. दुबे ने बताया कि तारकासुर नामक असुर ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि उसे केवल शिवजी के पुत्र ही मार सकते हैं। शिवजी और पार्वती के विवाह के बाद उनकी संतानों का जन्म हुआ। कार्तिकेय (स्कंद) शिवजी और पार्वती के तेज से प्रकट हुए उन्हें देवताओं का सेनापति बनाया गया और उन्होंने तारकासुर का वध कर देवताओं को संकट से मुक्त किया। आगे बताया कि माता पार्वती ने स्नान करते समय अपने शरीर के उबटन से एक बालक का निर्माण किया और उसे द्वारपाल नियुक्त किया। जब शिवजी वहां पहुंचे, तो गणेशजी ने उन्हें अंदर जाने से रोका। शिवजी ने क्रोधित होकर गणेशजी का सिर काट दिया। बाद में, माता पार्वती के अनुरोध पर शिवजी ने हाथी का सिर लगाकर उन्हें पुनः जीवित किया और "गणेश" नाम दिया। गणेशजी को प्रथम पूज्य का आशीर्वाद दिया गया। आगे माता पिता के सेवा के विषय में महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि एक बार शिवजी ने दोनों पुत्रों से कहा कि जो पूरी पृथ्वी की परिक्रमा पहले करेगा, वही श्रेष्ठ होगा। कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। लेकिन गणेशजी ने बुद्धिमानी से अपने माता-पिता (शिव और पार्वती) की परिक्रमा की और कहा कि "माता-पिता ही समस्त सृष्टि हैं।" इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने गणेशजी को प्रथम पूज्य होने का आशीर्वाद दिया। प्रतिदिन पंडित आशीष शर्मा द्वारा पुराण का परायण होते हैं तथा संगीतमय इस शिव महापुराण में भजन गायक सोनू गुप्ता (रायगढ़) संगीतकार- पंकज साहू, जीवन साहू, राहुल (बंटी) श्रीवास, हेमू प्रजापति और श्रवण साहू अपने कलाओं के माध्यम से अलग ही छटा बिखेर रहे है। ज्ञात हो कि यह पावन पुनीत कथा भूपेन्द्र रिगरी (सरपंच) सह पत्नी श्रीमती सरोज रिगरी के संयोजन में तथा ग्राम नगपुरा वासियों के आयोजन में संपन्न हो रहा हैं जिसमें प्रतिदिन सैंकड़ो भक्त श्रवणकर पुण्य के भागी बन रहे हैं।
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