होम / खास खबरें / दिल्लीवार कुर्मी क्षत्रिय समाज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं पूर्व विधायक व समाज पुरोधा दाऊ ढाल सिंह जी दिल्लीवार की 128 वीं जयंती मनाई गई
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-समाज ने शासन से दाऊ जी के नाम राज्य अलंकरण देने की मांग की
दुर्ग। वरिष्ठ स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी,समाज पुरोधा और जनपद पंचायत दुर्ग के प्रथम अध्यक्ष दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार जी की 128 जयंती दिल्लीवार कुर्मी क्षत्रिय समाज छत्तीसगढ़ द्वारा बुधवार को जनपद पंचायत दुर्ग में स्थापित प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर समाज के पदाधिकारी ने उनके किए गए कार्यों को स्मरण किया। समाज अध्यक्ष डॉ राजेंद्र हरमुख ने उनकी जीवनी पर विशेष जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि दाऊजी के विराट व्यक्तित्व के धनी थे। आजादी की लड़ाई प्रतिभा और क्षमता की उंचाईयां नापने में सदा असमर्थ रहे हैं! हमें सूझता नहीं कि दाऊजी के विराट व्यक्तित्व और प्रतिभा की, मेधा की उंचाईयों को किन शब्दों में व्यक्त करें...।
सामाजिक, राजनैतिक क्षेत्रों में आपकी अनेक कीर्तिमान उपलब्धियाँ और आपके गौरवशाली अवदान का साक्षी न केवल समाज बल्कि समूचा छत्तीसगढ़ व देश है। दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार दुर्ग जिले की ‘जमीनी राजनीति’ के प्रथम पुरूष थे। दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार जी का जन्म दुर्ग जिले के गुण्डरदेही तहसील के ग्राम पिरीद के मालगुजार परिवार में दाऊ बलराम सिंह के यहां 27 नवम्बर 1897 में हुआ था। अंग्रेजों की हुकुमत के दौर में जब छत्तीसगढ़ काफी पिछड़ा हुआ था। दाऊ ढाल सिंह उस काल में मेट्रिक उत्तीर्ण थे। उन्होंने मीडिल तक की शिक्षा अरजुन्दा में और हाईस्कूल की शिक्षा राजनांदगांव से पूरी की। वे बचपन से ही गांधीजी से प्रभावित थे। दाऊ ढाल सिंह की किशोरावस्था में गांधीजी का सत्य, अहिंसा और असहयोग पर आधारित आंदोलन चरम पर था। दाऊ ढाल सिंह का किशोर मन आजादी की लड़ाई में कूदने को मचल उठा और सन् 1926 में दाऊ ढाल सिंह जी भारत को आजाद कराने स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। अंग्रेजों के प्रति मन में अपार घृणा और फिरंगियों के विरूद्ध दिल में लगी आग को बुझाने क्रांतिकारियों की टोली में शामिल हो गये।
दाऊ ढाल सिंह जी की बेजोड़ नेतृत्व क्षमता ने उन्हें रातों रात क्रांतिकारियों का अगुवा बना दिया। उन्होंने गांव-गांव जाकर सत्याग्रहियों की टोलियां बनाई इस दौरान वे प्रमुख युवा क्रांतिकारी ठाकुर प्यारेलाल सिंह, डॉ.खूबचंद बघेल, घनश्याम सिंह गुप्ता, द्वारिकानाथ तिवारी, रामप्रसाद देशमुख, छोटेलाल साहू, अंजोर राव, गोपाल राव, यमुना प्रसाद कसार, रोहणी कुमार चौबे, डॉ. पाटणकर, दोनगांवकर, पंडित रत्नाकर झा, विष्णु चौबे, गंगा चौबे, ररूहा महराज और तामस्कर जी के निरंतर संपर्क में रहे। अपनी जीवटता, जुझारूपन, अदम्य साहस, नेतृत्व क्षमता के बदौलत सभी प्रमुख क्रांतिकारियों के चहेते बन गये। सन् 1935 में महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन से प्रेरित होकर कांग्रेस सेवादल की सदस्यता ग्रहण की।
दुर्ग जिले के ग्रामीण परिवेश से भली-भांति परिचित होने और उनकी अपार लोकप्रियता के चलते सन् 1937 में प्रांतीय (मध्यप्रदेश) कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं दुर्ग जिला लोकल बोर्ड के चेयरमेन बनाए गए। दाऊ ढाल सिंह के धुआंधार दौरे से घबराकर अंग्रेजों ने 12 मई 1941 को गिरफ्तार कर नागपुर जेल भेज दिया। 1941 से 1945 तक वे देश के विभिन्न जेलों (नागपुर, दमोह, जबलपुर) में रहे।
जेल में सर्वोदय के महान क्रांतिदूत सन्त विनोबा भावे और अब्दुल कलाम आजाद जैसे क्रांतिकारियों के साथ एक ही कोठरी में लंबे समय तक रहे। उन दिनों जेल में वेद-पुराण, समाज, देश, इतिहास, भारतीय दर्शन, पाश्चात्य दर्शन, रामायण, महाभारत, गीता आदि पर प्रचुरता से चर्चा में जीवंत होती थी। जेलों में कुन्दन तपता गया और खरा होता गया। जेल यात्रा पश्चात तात्कालीन मध्यप्रदेश की राजनीति और स्वतंत्रता सेनानियों में बेहद प्रभावशाली हो चुके थे। इस बात की जिक्र 1948 में प्रकाशित नवभारत जयपुर काँग्रेस अंक में है जिसमें दाऊ ढाल सिंह को मध्यप्रांत के प्रधान नक्षत्र की संज्ञा दी गई है। उस पृष्ठ पर विभाजित मध्यप्रदेश से दाऊ ढाल सिंह के अलावा पंडित रत्नाकार झा को ही स्थान मिला था।
वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जमुना प्रसाद कसार जी ने अपनी किताब में दाऊ ढाल सिंह को प्रथम पंक्ति के क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी बताते हुए सन् 1941 में गांधी चौक की सभा से बलपूर्वक गिरफ्तारी का विस्तार से उल्लेख किया है। दाऊ ढाल सिंह स्वतंत्रता पश्चात् सन् 1955 से 1962 तक दुर्ग जनपद सभा के अध्यक्ष रहे। सन् 1961 में दाऊ ढाल सिंह दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चुने गए। उस समय दुर्ग जिले में राजनांदगांव, कवर्धा, बेमेतरा, खैरागढ़, बालोद आदि तहसीलें थी। इस तरह उनका का कार्यक्षेत्र बेहद व्यापक था। उनकी सूझबूझ और कुशल प्रशासनिक क्षमता के मद्देनजर 1962 में दुर्ग विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी बनाए गए। जिसमें भारी मतों से विजयी हुये। 1967 तक उन्होंने दुर्ग विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया। उनके कार्यकाल में बहुत से मीडिल और हाईस्कूलों की स्थापना हुई।
तात्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और मुख्यमंत्री (मध्यप्रदेश) पंडित रविशंकर शुक्ल जी भी उनकी प्रतिभा और प्रभाव के कायल थे। भिलाई इस्पात संयंत्र हेतु स्थल निरीक्षण एवं चयन हेतु जब पं.नेहरू और शुक्ल जी ने भ्रमण किया तब उन्होंने सिर्फ दाऊ ढाल सिंह को ही अपने साथ रखा। आज यही संयंत्र समूचे देश का गौरव है।
दुर्ग स्थित सांइस कॉलेज दाऊ ढाल सिंह की ही देन है। साइंस कॉलेज की शुरूआत हिन्दी भवन में चंद विद्यार्थियों के साथ हुई थी। सन् 1967 में इनके के सद्प्रयासों से विशाल भूखण्ड पर विशाल महाविद्यालय भवन तैयार हुआ, जो कि आज छत्तीसगढ़ के प्रमुख महाविद्यालयों में से एक है।
पंडित नेहरू जी के पास तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी भी दाऊ ढाल सिंह का बेहद सम्मान करती थी। जब श्रीमती गांधी दुर्ग प्रवास के समय गंज मंडी प्रांगण में एक धार्मिक कार्यक्रम में व्याख्यान सुनने रूकी थी तब दाऊ ढाल सिंह का पूरा परिवार उनके साथ रहा।
दाऊ ढाल सिंह अपने राजनीतिक जीवन में निष्पक्षता, ईमानदारी, न्यायप्रियता, सच्चे जनसेवक के रूप में याद किये जाते है। उनके समकालीन यह मानते थे कि वे राजनीति नहीं बल्कि ‘समाजनीति’ में विश्वास रखते थे। उनका यही सदाचरण उन्हें इतना प्रभावी बना दिया कि वे सिगरेट या बीड़ी के पन्ने पर किसी की सिफारिश कर देते थे तो उन्हें नौकरी मिल जाती थी। विभिन्न जातियों के अनेक लोग ऐसी ही सिफारिशों का लाभ लेकर विभिन्न पदों पर नौकरी में रहे। वे जन-जन के अजीज और अगुवा बन गये। दाऊ ढाल सिंह के बढ़ते प्रभाव से तात्कालीन क्षेत्रीय राजनीतिज्ञों ने उन्हें हाशिये पर ढकेलने की साजिशें रची परन्तु दाऊजी ने कभी भी पलटवार नहीं किया। जिन्दादिल, आदर्शवादी, ईमानदार, निष्पक्ष, न्यायप्रिय, उदारमन:, मृदुभाषी, नेतृत्व व प्रशासनिक क्षमता के धनी, परदुखकातर, सादगी के प्रतीक दाऊ ढाल सिंह 10 अगस्त 1969 को इस दुनिया से विदा हो गये।समाजाध्यक्ष डा राजेंद्र हरमुख, उपाध्यक्ष यशवंत दिल्लीवार, महामंत्री अशोक कुमार देशमुख, कोषाध्यक्ष मिलाप देशमुख, महिला केंद्रीय महिला अध्यक्ष प्रीति देशमुख, सहायक मंत्री विजय बेलचंदन, कार्यालय मंत्री किशन देशमुख, कार्यकारिणी सदस्य बलराम देशमुख, अंकेशक दामोदर दिल्लीवार, योगेश्वर देशमुख, ओंकारेश्वर हरमुख,जनपद अध्यक्ष देवेंद्र देशमुख, जी देशमुख, बचन देशमुख, अनिल देशमुख, योगेंद्र , करण देशमुख, रविकांत देशमुख,सेवाराम पिपरिया, पवन दिल्लीवार, माखन देशमुख, पुष्पा पिपरिया, दाऊ जी की बेटी अनु देशमुख, तरुण देशमुख,एवं समाज के अधिकाधिक संख्या में सामाजिक उपस्थित रहे।
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