छत्तीसगढ़ के सपनो पर डाका डाल रहे कोंचिंग चलाने वाले

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RO No.12822/158

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दुर्ग।  शासकीय सेवा मे जाने की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थाओ ने इसे कमाई का चोखा धंधा बनाकर रख दिया। शहर के कई प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान जो पहले सही मायने में तैयारी कराते थे, वे अब पढ़ाने के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रहे हैं।  कुछ छात्रों ने बताया कि शिक्षा माफिया पर नकेल कसना जरूरी है। हालाँकि  सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी है। एक बेरोजगार युवा जो स्वयं को अपने घर परिवार पर बोझ समझता है, उसकी पीड़ा भी सामने आई।  सिविल सेवा की तैयारी करने वाली एक छात्रा ने बताया कि दुर्ग भिलाई पहले ज्ञानधानी हुआ करती थी । यहां पूरे भारत से बच्चे आकर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। चर्चा के दौरान छात्राओ ने बताया कि वह पिछले दो सालों से छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रही है । इसके लिए उसने एक  कोचिंग संस्थान में प्रवेश लिया था। लेकिन तैयारी के दौरान शुरुआत के कुछ दिनों के बाद कोचिंग संस्थान के द्वारा मनमानी शुरू कर दी गई । जिसकी वजह से उसने उस कोचिंग संस्थान को छोड़कर नए सत्र में किसी अन्य कोचिंग संस्थान में प्रवेश लिया, किंतु यहां स्थिति उससे भी भयानक थी। क्योंकि उस कोचिंग संस्थान में कुछ शिक्षक सही मायने में बहुत सही पढ़ाते थे, जो विद्यार्थियों के लिए समर्पित भाव रखते थे । जबकि कुछ महिला शिक्षक उतने ही  अव्यवहारिक थे जिन्हे बेसिक नॉलेज भी नही वे इन बच्चों को पढ़ा रहे हैं। आगे बातचीत के दौरान पता चला कि महिला शिक्षिकाओं का पूरा साथ कोचिंग संस्थान का प्रबंधन देता है। और कतिपय  महिला शिक्षकों की अयोग्यता पर पर्दा डालता है। बताया गया कि जब वह इन संस्थाओं से अपनी फीस वापस मांगी गई तो प्रबंधन द्वारा जीएसटी चार्ज एवं प्रिंटेड नोट्स के नाम पर फीस का 30℅ तक राशि में कटौती की गई । जबकी जीएसटी  रसिद कोचिंग संस्थान के द्वारा दिया ही नहीं गया, और नोट्स के नाम पर लुसेंट की पुस्तक जिसकी कीमत 300 रुपये है, दिया गया था। 
पीड़ित छात्रों का कहना है कि शासन की अनदेखी इस संस्थानों के गोरखधंधे को बढ़ावा दे रही है। जिससे छत्तीसगढ़ का युवा लगातार मेंहनत करने के बाद भी कुछ लोगों के कारण असफल हो रहा है। न सही मार्गदर्शन न सही संस्थान, ही  हमारे ज्ञानधानी  की संज्ञा को धुमिल कर रहा है।