दुर्ग- रायपुर के बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा फिसड्डी ; किसी सरकार ने नही लिया सुध

दुर्ग- रायपुर के बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा फिसड्डी ; किसी सरकार ने नही लिया सुध
RO No.12784/129

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दुर्ग । दुर्ग और रायपुर के बीच लोकल ट्रेन के सफर में सवा घंटे का समय लगता है। भारत में अंग्रेजों ने मुम्बई और ठाणे के बीच ट्रेन चलाया था। वह 35 किलोमीटर की दूरी थी। भारत की इस पहले पैसेंजर ट्रेन ने 1 घंटा 10 मिनट में वह यात्रा पूरी की थी।  उस घटना के 171 साल बाद भी दुर्ग और रायपुर के बीच की 37 किमी दूरी उतना ही समय लेती है। मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट की तैयारी हो रही है तो यहां हमारा रेलवे आज 2024 में भी उसी पुराने ढर्रे पर दौड़ रहा है। 
राज्य बनने के इन 24 सालों में दुर्ग व रायपुर के बीच कनेक्टिविटी में सरकार की तरफ से ज्यादा काम नही हुआ। दुर्ग और रायपुर के बीच फोरलेन पुराना पड़ चुका है तथा यातायात के दबाव को झेल नहीं पा रहा है। 
सिरसा गेट जैसे अत्यंत व्यस्त चौराहे पर फ्लाई ओवर नही बनाया गया है। इसका मतलब है आगामी पांच साल तक दुर्ग –रायपुर के बीच सड़क से आनेजाने में परेशानी रहेगी। 


यहीं हाल ट्रेनो का भी है। कोरोना  के बाद से ट्रेन सुविधा पूरे छत्तीसगढ़ में पटरी पर नहीं चल रही है। कोई भी ट्रेन कभी भी निरस्त कर दी जाती है ।  विरोध उठाने वाले लोग एकजुट नही हो पाते, और व्यवस्था की मनमानी बेरोकटोक चलती है। असंतुष्ट और परेशान लोग एक साथ अब बहुत सारे नही होते। इसके बावजूद उम्मीद कायम है। 
 जानकार बताते हैं, आने वाले पांच सालों में रेलवे में बहुत सारे बदलाव देखने को मिलेंगे। दुनिया के भारत से कई छोटे–बड़े देश इसमें काफी आगे निकल गए हैं।
नवभारत की नींव पड़ चुकी है। आकार लेते भी दिख रहा है। आने वाले समय में जन उपयोग की सभी क्षेत्रों में व्यापक बदलाव की उम्मीद है।
उपभोक्तावादी भारत दुनिया में तेजी से आगे बढ़ा है। सामाजिक और आर्थिक समस्या कम होने के बजाए बढ़ ही रहे है।
नौकरियां जरूर बढ़ी है, पर वृहद जनसंख्या के सामने नाकाफी साबित हुई।
रेलवे ही नही; अपितु स्वास्थ्य, शिक्षा, पुलिसिंग, आदि बेसिक सेवा ज्यादा आगे बढ़ नही सका।
रायपुर स्टेशन भारत के उन चुनिंदा रेलवे स्टेशनों में से है, जिसे भारतीय रेलवे द्वारा ग्रेड 'ए -1' दिया गया है और यह भारत में सबसे अधिक कमाई करने वाले रेलवे स्टेशनों में से है। यह रायपुर-विजयनगरम शाखा रेलमार्ग का उद्गम स्थल भी है। राजनांदगांव से लेकर बिलासपुर स्टेशन तक रेलवे कनेक्टिविटी बढ़ाना छत्तीसगढ़ के विकास के लिए जरूरी है।