सिर्फ डिग्री की गिनती के फेर में न रहे, काबिलियत के लिए पढ़ें- वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी

सिर्फ डिग्री की गिनती के फेर में न रहे, काबिलियत के लिए पढ़ें- वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी
RO No.12784/129

RO No.12784/129

RO No.12784/129

-वित्त मंत्री श्री चौधरी ने कहा- संकल्प मजबूत होंगे तो विकल्पों की कमी नहीं होगी
-वित्त मंत्री श्री चौधरी की छात्रों को सलाह-सही समय पर सही प्लानिंग सफल करियर का आधार
-करियर संबंधी मार्गदर्शन देने वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी बच्चों के बीच पहुंचे, सुनाए अपने जीवन अनुभव, दिए कई महत्वपूर्ण टिप्स
-नगर निगम ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ ’उत्कर्ष-भविष्य का निर्माण’ कार्यक्रम व प्रतिभा सम्मान समारोह
रायपुर। सिर्फ डिग्री पा लेना और उसकी संख्या बढ़ाना आपको कामयाबी के मुकाम तक नहीं लेकर जायेगा, स्किलफुल बनेंगे तो कामयाबी जरूर मिलेगी। इसलिए गिनती के फेर में न पड़ें और काबिलियत के लिए पढ़ें, वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी ने आज करियर काउंसलिंग के दौरान बच्चों को यह सलाह दी। वे आज स्कूल और कॉलेज के बच्चों के बीच उन्हें करियर संबंधी मार्गदर्शन देने जिला प्रशासन द्वारा आयोजित ’उत्कर्ष-भविष्य का निर्माण’ कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्हें सुनने बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों के साथ शिक्षक और पालक भी पहुंचे थे।
वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी ने एक घंटे के अपने संबोधन में छात्रों को अपनी अब तक जीवन अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि एक छोटे से गांव से निकल कर देश के प्रतिष्ठित आईएएस सेवा में चयन, प्रशासनिक करियर से लेकर राजनीतिक जीवन में प्रवेश और अब प्रदेश के वित्त मंत्री के रूप में कार्य करने का सफर कैसा रहा, क्या चुनौतियां रहीं, उनसे कैसे निपटे और भविष्य के लिए और बड़े लक्ष्य कैसे तय किए और उन्हें कैसे पूरा किया।
वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि 11 साल की उम्र में अपनी मां के साथ जब रायगढ़ के कलेक्टर ऑफिस पहली बार आया था तभी से मन में ठान लिया था कि आगे चल कर आईएएस बनना है। इस सपने को मैने जिया, लगातार मेहनत की और 23 साल की एज में सबसे कम उम्र में से एक आईएएस बनने की उपलब्धि हासिल हुई। उन्होंने कहा कि बायंग गांव से निकल कर जब मैं आईएएस बन सकता हूं जिसके पिता का देहांत 8 वर्ष की उम्र में हो गया था और मां सिर्फ  चौथी तक पढ़ी है तो आप में से हर कोई अपना सपना पूरा कर सकता है। बशर्ते आपको परिस्थितियों से हारना या घबराना नहीं है बल्कि उनका सामना करना है। संकल्प यदि मजबूत होगा तो विकल्पों की कमी नहीं होगी। हमारे सामने अनेकों उदाहरण हैं जो बताते  हैं कि विषम परिस्थिति में भी अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने वाले सफलता की नई इबारत लिखते हैं।

उन्होंने विराट कोहली के पिता के निधन के दिन अपनी टीम के लिए खेली गई बहुमूल्य पारी, आनंद कुमार के संघर्षों के बारे बताते हुए कहा कि इन सभी सफल लोगों ने कठिन परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी होने नही दिया बल्कि उससे लड़े और जीते। उन्होंने बताया कि आईएएस की नौकरी छोडऩे के बाद कृषि कार्य और शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का काम सीखा। खेती-किसानी के वैज्ञानिक तरीकों का ज्ञान लिया, रिसर्च किया, एग्रोनॉमिक्स विशेषज्ञों से सीखने की कोशिश की जिसका पूरा लाभ आज उन्नत कृषि में ले रहा हूं। यह सब बताने के पीछे का अर्थ यह है कि आप समझ लें कि जो करना चाहते हैं उसके बारे में पूरा ज्ञान लीजिए, एक्सपर्ट से सीखिए उसे अप्लाई कीजिए फिर कमाल देखिए। अंत में उन्होंने कहा कि सफलता और असफलता प्रयासों लेना दो ही परिणाम हो सकते हैं। असफल होने पर निराश नहीं होना है। कोई अनुचित कदम नहीं उठाना चाहिए। हमेशा याद रखें कि जिंदगी किसी एक एग्जाम, किसी एक प्रयास से कहीं ज्यादा कीमती है। इसलिए हमेशा सकारात्मक अप्रोच रखें। उन्होंने कलेक्टर कार्तिकेया गोयल और सीईओ जिला पंचायत के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन द्वारा आयोजित करियर गाइडेंस सेमिनार की सराहना की और कहा कि इस कार्यक्रम का नियमित आयोजन किया जाए जिससे छात्रों से संवाद बना रहे।
कलेक्टर कार्तिकेया गोयल ने भी बच्चों को संबोधित किया। उन्होंने बच्चों से अपने समय का सदुपयोग करने और देश के भविष्य में अपना योगदान देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह समय महत्वपूर्ण है इसमें की गई मेहनत के जो परिणाम मिलते हैं उसका असर पूरे जीवन की दशा दिशा तय करते हैं।
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल, सीईओ जिला पंचायत जितेन्द्र यादव, गुरूपाल भल्ला, मुकेश जैन, श्रीकांत सोमावार, सुभाष पाण्डेय, विवेक रंजन सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम श्रीमती पूनम सोलंकी, शोभा शर्मा सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।