कोरिया, मनेंद्रगढ़ एवं दुर्ग जिले के जंगलों में भी उगाये जाएंगे लाल चंदन के पौधे...अखिलेश मिश्रा

कोरिया, मनेंद्रगढ़ एवं दुर्ग जिले के जंगलों में भी उगाये जाएंगे लाल चंदन के पौधे...अखिलेश मिश्रा
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- वर्तमान में आंध्रप्रदेश के चार जिलों में मुख्यतः चित्तूर, कडप्पा, नेल्लोर, कुरनूल की पहाड़ियों में ही पाये जाते हैं लाल चंदन के पेड़

- अंतरराष्ट्रीय बाजार में लालचंदन की कीमत 20 लाख से लेकर 50 लाख रुपए प्रतिक्विंटल तक होती है इसकी कीमत 

कोरिया /बैकुण्ठपुर (खगेन्द्र यादव)। भारत में उगाया जाने वाला लाल चंदन दुनिया भर में मशहूर है लाल चंदन आंध्रप्रदेश के चार जिलों में मुख्यतः चित्तूर, कडप्पा, नेल्लोर, कुरनूल की पहाड़ियों में ही उगाया जाता है। जल्द ही छत्तीसगढ़ के कोरिया, मनेंद्रगढ़ एवं दुर्ग जिले जंगलों में भी लाल चंदन के पौधे उगाये जायेंगे। जानकारी अनुसार लाल चंदन की कीमत बाजार में 20 लाख से लेकर 50 लाख रुपए प्रतिक्विंटल तक होती है। हालाकि भारत सरकार ने वर्ष 2002 में आम लोगों के लिए चंदन की खेती करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था वर्तमान में इसके पेड़ लगाए जा सकते है किंतु लाल चंदन की लकड़ी काटना और खुले बाजार में बेचना गैरकानूनी है। वन विभाग की अनुमति के बाद ही कटाई की जा सकती है। कोरिया वन मंडल में वर्ष 2021 में 100 बीजों को तैयार कर पेड़ उगाया गया था। जानकारी के मुताबिक कोरिया वनमण्डलाधिकारी एमेतेष्यु आओ एवम वर्तमान में पदस्थ उप वनमंडलाधिकारी के द्वारा बीजा रोपण कर पेड़ उगाने की कोशिश आनंदपुर नर्सरी में किया था और उगाना सफल रहा। आज के वर्तमान समय में कोरिया वन के उप वन मंडलाधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण के समय कई नई चीजों को बताया जाता उन्ही में से एक, छत्तीसगढ़ के लिए लाल चंदन का उगाना एक नई पहल बनी और आज काफी संख्या में लाल चंदन के छोटे पेड़ कोरिया वन मंडल के आनंदपुर नर्सरी में हैं और कोरिया के जंगलों में निगरानी में दो जगह प्लांटेशन भी कराया गया लाल चंदन का। 

क्या है लाल चन्दन की खासियत...

 लाल चंदन को दुनिया की सबसे दुर्लभ और सबसे महत्वपूर्ण लकड़ी माना जाता है। भारत में लाल चंदन सिर्फ दक्षिणी इलाकों में घने जंगलों में पाया जाता है। चीन इसका सबसे बड़ा बाजार है। इसका इस्तेमाल संगीत के वाद्य यंत्र बनाने, फर्नीचर और मूर्तियां बनाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग औषधी बनाने में भी किया जाता है। इसके पेड़ों का घनत्व अधिक होता है इसलिए लाल चंदन की लकड़ी पानी में डूब जाती है और यही इसकी असली पहचान है। लाल चन्दन में सफेद चन्दन जैसी सुगंध नहीं होती है लाल चन्दन के लिए जरूरी वातावरण लाल चन्दन के उगाने के लिए 26 से 32 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है। यह धीमी गति से बढ़ने वाला पौधा है। तेज धूप में यह अच्छे से विकास करता है। सर्दी के मौसम में इस पर नजर रखना जरूरी है क्योंकि यह पाला की गिरफ्त में बहुत जल्द आ जाता है जिससे इसका तना सूखने लगता है।

 15 साल लगते है पेड़ बनने में ...

लाल चंदन के वृक्ष को वयस्क होने में लगता है 15 वर्षों का समय एक बार चंदन का पेड़ 8 साल का जाता है, तो उसका हार्डवुड बनना शुरू हो जाता है और रोपण के 12 से 15 साल बाद कटाई के लिए तैयार हो जाता है। जब पेड़ बड़ा हो जाता है तो किसान हर साल 15-20 किलो लकड़ी आसानी से काट सकता है। उप वनमंडलाधिकारी कोरिया, अखिलेश मिश्रा ने बताया कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में लाल चंदन आय का बहुत बड़ा स्रोत बनेगा और हमारा और वन विभाग की पूर्ण कोशिश है की छत्तीसगढ़ के जंगलों में लाल चंदन छत्तीसगढ़ भारत की अर्थ व्यवस्था को बनाए रखने में सहायता करेगा।