दुर्ग। जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए दुर्ग जिला ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मजबूत पहचान दर्ज कराई है। जल शक्ति अभियान के तहत इंस्ट जोन कैटेगरी–3 में दुर्ग को देशभर में 16वां स्थान प्राप्त हुआ है। इस उपलब्धि के उपलक्ष्य में 18 नवंबर को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन के प्लेनरी हॉल में आयोजित राष्ट्रीय पुरस्कार वितरण समारोह में जिले को सम्मानित किया गया।
जिले को माननीय केंद्रीय मंत्री के करकमलों से प्रशस्ति पत्र और 25 लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया। यह सम्मान कलेक्टर अभिजीत सिंह के मार्गदर्शन और जिला पंचायत सीईओ बजरंग दुबे के नेतृत्व में किए गए उत्कृष्ट कार्यों और जनभागीदारी को समर्पित है।
छत्तीसगढ़ ने रचा इतिहास — JSJB 1.0 में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान ..
जल संचय जनभागीदारी 1.0 (JSJB) के परिणामों में छत्तीसगढ़ प्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान हासिल कर एक बार फिर अपनी क्षमता साबित की है। प्रदेश में अब तक 5010 कार्य पूर्ण कर जल संरक्षण को एक जन–आंदोलन का स्वरूप दिया गया है।
दुर्ग जिला इस परिवर्तनकारी प्रयास का एक प्रमुख मॉडल बनकर उभरा है। जिले को 25 लाख रुपये का पुरस्कार यह दर्शाता है कि यहां जल संरक्षण को प्राथमिकता के साथ अपनाया गया है।
जल प्रबंधन में दुर्ग जिले की बड़े पैमाने पर उपलब्धियां ..
कलेक्टर अभिजीत सिंह और जिला पंचायत सीईओ बजरंग दुबे के निर्देशन में दुर्ग जिले में वर्षा जल संचयन, रिचार्ज संरचनाओं और जन-जागरूकता अभियानों के माध्यम से बड़े स्तर पर कार्य किए गए—
सोक पिट निर्माण:
जनपद दुर्ग – 70
धमधा – 101
पाटन – 55
रिचार्ज पिट निर्माण:
दुर्ग – 43
धमधा – 92
पाटन – 73
अमृत सरोवर:
अब तक 123 सरोवर बन चुके, 7 निर्माणाधीन
पीएम आवास सहित विभिन्न स्थानों पर 2854 सोक पिट का निर्माण
300 ग्राम पंचायतों में 16,120 सोख्ता गड्ढे तैयार
423 हैंडपंपों का जलस्तर रिचार्ज कर पुनर्जीवित किया गया
जल संरचनाओं से जहां भूजल स्तर में सुधार हुआ, वहीं ग्रामीणों को बड़ी मात्रा में रोजगार उपलब्ध हुआ।
जनभागीदारी बनी सफलता का आधार ..
'मोर गांव मोर पानी' और 'एकेच गोठ एकेच बानी' जैसे अभियान जल संरक्षण को जन–आंदोलन बनाने में अत्यंत सफल रहे। 'बूंद–बूंद बचाबो पानी' केवल नारा नहीं, बल्कि दुर्ग जिले की कार्यशैली बन चुका है।
दुर्ग की यह उपलब्धि साबित करती है कि जब प्रशासन और जनता मिलकर काम करते हैं तो जल संकट जैसी बड़ी चुनौतियों का समाधान भी संभव हो जाता है।
दुर्ग जिले का यह मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर जल प्रबंधन का आदर्श उदाहरण बनकर उभरा है।
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