दुर्ग। हाल ही में दुर्ग जिला अस्पताल में दो महिलाओं—पूजा यादव (27) और किरण यादव (30)—की दर्दनाक मौत के बाद आज छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उच्च-स्तरीय जांच समिति पीड़ित परिवारों के घर पहुँची जहाँ सदमे के बीच परिजन अपने साथ हुए अन्याय और अस्पताल की कथित लापरवाही को लेकर लगातार गुहार लगा रहे थे।
इस पूरे मामले की गहन जांच के लिए पूर्व मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया के नेतृत्व में समिति गठित की है. इस समिति से आज अनिला भेड़िया — पूर्व मंत्री, अरुण वोरा — पूर्व विधायक,संगीता सिन्हा — विधायक, बालोद,नीता लोधी — पूर्व महापौर सबसे पहले सिकोला भाठा पहुँचकर किरण यादव के परिवार से मुलाकात की। इसके बाद समिति बजरंग नगर पहुँची, जहाँ पूजा यादव के पति और परिजनों से चर्चा की गई।
परिजनों ने बताया कि दोनों महिलाएँ ऑपरेशन से पहले पूरी तरह स्वस्थ थीं, लेकिन ऑपरेशन के बाद उनका शरीर “पूरा नीला पड़ गया”। परिजनों का आरोप है कि दोपहर 12:30 बजे ऑपरेशन हुआ, लेकिन किसी भी तरह की जानकारी उन्हें नहीं दी गई, और बाद में डॉक्टरों ने सिर्फ़ मौत की सूचना देकर पल्ला झाड़ लिया। स्थानीय लोगों ने कहा कि एक ही डॉक्टर तीन-तीन ऑपरेशन कर रहा था, जिससे गंभीर लापरवाही की आशंका और गहरी हो जाती है.अस्पताल में उपयोग हो रही दवाइयों की कोई उचित जांच नहीं हो रही है।पूरे इलाके में गहरा आक्रोश देखने को मिला
*समिति की संयोजक, पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक श्रीमती अनिला भेंड़िया ने कहा कि—*
“यह पूरी तरह से भारी लापरवाही का परिणाम है। जिस तरह दुर्ग में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई है, वैसी ही स्थिति पूरे प्रदेश में है—भाजपा के राज में स्वास्थ्य सुविधाएँ पूरी तरह लाचार हो चुकी हैं।

हम इस घटना की जड़ तक जाएंगे और जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।”
परिजनों की बातें सुनकर अरुण वोरा ने कहा कि - यह सिर्फ दो परिवारों की त्रासदी नहीं—यह पूरे शहर को झकझोर देने वाली घटना है।
“यह स्वास्थ्य व्यवस्था में बैठी भारी लापरवाही का परिणाम है। जिस अस्पताल पर गरीब और मध्यम वर्ग अपनी सबसे बड़ी उम्मीद रखता है, वहीं आज मौतें हो रही हैं। यह किसी भी सरकार के लिए शर्मनाक स्थिति है।”
वोरा ने याद दिलाया कि कांग्रेस कार्यकाल में दुर्ग की स्वास्थ्य सेवाओं को जर्जर हालत से बाहर निकालने के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे—और 24 करोड़ की लागत से स्वीकृत 50-बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट, जिसे 2023 में मंज़ूरी मिली थी, आज तक अधूरा है, भाजपा सरकार के 2 साल में इसका निर्माण आगे नहीं बढ़ा।" स्वीकृति थी, फंड था, डिज़ाइन और एजेंसी तय थी—तो फिर जनता को बेहतर सुविधा से वंचित क्यों रखा गया? करोड़ों रुपये की सुविधाएँ होने के बावजूद अगर ऐसी त्रासदी हो, तो यह सरकार की नाकामी है।”
समिति की सदस्य बालोद विधायक संगीता सिन्हा ने कहा कि—
“दो युवा माताओं की मौत कोई साधारण घटना नहीं—यह सिस्टम की गहरी नाकामी है। भाजपा सरकार ने अस्पतालों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।
हम परिजनों को आश्वस्त करते हैं—पूरी सच्चाई सामने लाकर जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करवाना हमारी प्राथमिकता है।”
परिजनों से मिलने के बाद कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल दुर्ग जिला अस्पताल पहुँचा, जहाँ सिविल सर्जन, स्वास्थ्य अधिकारियों और जिला प्रशासन से जवाब मांगा गया।मुलाक़ात के दौरान पता चला कि अस्पताल में 500 बिस्तरों के मुकाबले सिर्फ़ 116 नर्स, 11 डॉक्टर और 50 बॉन्डेड डॉक्टर तैनात हैं।

यह स्टाफ की भारी कमी अपने-आप में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाल स्थिति उजागर करती है।
वोरा ने कहा कि समिति जल्द ही लापरवाही के वास्तविक कारणों की पड़ताल करते हुए अपना प्रतिवेदन PCC को सौंपेगी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात कर इस घटना की न्यायिक जाँच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग करेगी।
इस कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल के साथ दुर्ग शहर के कई अहम कांग्रेसी भी उपस्थित रहे—
ब्लॉक अध्यक्ष राजकुमार पाली, अजय मिश्रा, राजकुमार साहू, दुर्ग जिला प्रभारी महामंत्री परमजीत सिंह भुई, कन्या धीमर, यादव समाज के वरिष्ठ रामकली यादव, प्रीतम यादव, भोजराज यादव, पूर्व एल्डरमेन रत्ना नारमदेव, मोहित वालदे सहित कई कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
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