रायपुर। छत्तीसगढ़ की पुण्यभूमि माता कौशल्या की जन्मस्थली होने के साथ-साथ प्रभु श्रीराम का ननिहाल भी है — यह हमारे लिए परम सौभाग्य और गर्व का विषय है। प्रभु श्रीराम ने अपने चौदह वर्षों के वनवास काल का अधिकांश समय इसी पावन छत्तीसगढ़ की धरती पर व्यतीत किया, जिससे यह भूमि भक्ति, त्याग और मर्यादा की दिव्यता से आलोकित हुई। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज बालोद जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड के ग्राम बड़े जुंगेरा स्थित माँ कौशल्या धाम, जामड़ी पाटेश्वर आश्रम में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने संत रामकृष्णदास महात्यागी एवं संत रामजानकीदास महात्यागी के समाधि स्थल पहुँचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने दोनों संत महापुरुषों के राष्ट्र, समाज और अध्यात्म के प्रति योगदान को नमन करते हुए कहा कि उनके त्याग, तप और सेवा से छत्तीसगढ़ की यह भूमि आज भी आलोकित है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बाबाजी तेजस्वी साधक और त्याग, सेवा व अध्यात्म के प्रतीक रहे हैं। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन लोककल्याण और मानवता की सेवा को समर्पित किया।
उन्होंने कहा कि ऐसे संतों की प्रेरणा ही हमारे समाज की आत्मा और राज्य के सांस्कृतिक गौरव की आधारशिला है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि भगवान श्रीराम के ननिहाल में आकार ले रहा यह दिव्य धाम छत्तीसगढ़ की आस्था, संस्कृति और गौरव का प्रतीक बनेगा। उन्होंने संत बालक दास महात्यागी जी से भेंट कर निर्माण कार्य की प्रगति की विस्तृत जानकारी ली।
इस अवसर पर कृषि मंत्री रामविचार नेताम, वन मंत्री केदार कश्यप, सांसद भोजराज नाग, विधायक पुरंदर मिश्रा सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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