-पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय दुर्ग में संकुल स्तरीय कार्यक्रम का भव्य आयोजन
-विविधता में एकता ही भारत की सबसे बड़ी पहचान : रवींद्र कुमार
दुर्ग। पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय दुर्ग में संकुल स्तरीय राष्ट्रीय एकता पर्व एवं एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत विविध प्रतियोगिताओं का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से विषय-विशेषज्ञ निर्णायक मंडल के रूप में आमंत्रित किए गए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्थल निदेशक उमाशंकर मिश्र ने कहा कि भारत की संस्कृति एक विराट और विशाल संस्कृति है। कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से अरुणाचल तक इसकी विविधता इसकी सबसे बड़ी पहचान है। इस विविधता को आत्मसात करने के लिए राष्ट्रीय एकता पर्व का आयोजन किया जाता है।
मुख्य अतिथि सहायक आयुक्त रवींद्र कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत हमें हमारी विविध कलाओं, परंपराओं और विरासत से जोड़ता है। परंपरा तभी सार्थक होती है जब वह नई पीढ़ी तक पहुँचकर उनके जीवन का हिस्सा बने। यही नई पीढ़ी नए भारत का निर्माण करेगी और जब हम विविधता में एकता खोजते हैं तो सशक्त भारत की दिशा में आगे बढ़ते हैं।
प्रतियोगिताओं में निर्णायक मंडल के रूप में ख्यात शख्सियतों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। संगीत (गायन) वर्ग का मूल्यांकन इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के डॉ. ईशान दुबे और अंकित जयसवाल, वत्सल स्कूल ऑफ म्यूज़िक भिलाई के डॉ. अभिषेक सिंह ने किया। वादन प्रतियोगिता में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के डॉ. पुनीत पटेल, श्री महेंद्र मोंगरे और स्वतंत्र कलाकार श्री रवि मालवीय निर्णायक रहे। नृत्य प्रतियोगिताओं का मूल्यांकन डीपीएस भिलाई की डॉ. शुभी भंडारी, स्वतंत्र कथक कलाकार सुश्री मानसी सिक्केवाल और स्वतंत्र भरतनाट्यम विशेषज्ञ सुश्री अनुपमा तिवारी ने किया। दृश्य कला (चित्रकला, पेंटिंग, शिल्पकला एवं स्वदेशी खिलौने) में निर्णायक के रूप में डीपीएस भिलाई की श्रीमती आंचला सिंह, स्वतंत्र कलाकार मनीष ताम्रकार और शांतनु मिश्रा उपस्थित रहे। वहीं थिएटर और कहानी वाचन वर्ग का मूल्यांकन भिलाई IPTA से जुड़े रंगकर्मी चित्रांश श्रीवास्तव और नरेन्द्र पटनारे, साथ ही रंगमंच कलाकार अमित सिंह चौहान ने किया।
कला उत्सव 2025 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप संगीत, नृत्य, नाटक, दृश्य कला और पारंपरिक कहानी वाचन की विविध विधाओं में विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। इन प्रतियोगिताओं ने भारत की बहुरंगी संस्कृति को जीवंत किया और विद्यार्थियों को अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर दिया।
कार्यक्रम की सफलता में संयोजकों पुष्पा बड़ा, धर्मेन्द्र यादव, डॉ. श्रावणी सिंह, रचना पाल, टी.एल. साहू, संजीव भदौरिया, एम. के. बोरकर, मनोज भारद्वाज, एम. ए. नन्दनवार, संजय चतुर्वेदी, पुरुषोत्तम साहू, कमल सोनी, आशुतोष सिंह, उषा शर्मा, डॉ. अजय आर्य, बिंदु शिव राजन, तरुणा संकरी, संजू कुमारी, रेशू काकरान, श्वेता भूरे , प्रियल,उर्वशी, मेघा यादव, मोनिका, वसुधा तिवारी,फरहा हलीम,बिंदु साहू , मोनिका श्रीवास्तव, उषा रानी , शहनाज और महेंद्र की सक्रिय भूमिका रही।
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